Latest News : राजनीति में मैथिली ठाकुर की एंट्री, साथ है M3 फैक्टर

By Surekha Bhosle | Updated: October 11, 2025 • 1:25 PM

लोकगायिका मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) की बीजेपी नेताओं से मुलाकात से उनकी राजनीति में एंट्री की अटकलें तेज हो गई हैं. खुद मैथिली ठाकुर ने अपने गांव से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई हैं. हालांकि मैथिली ठाकुर की राजनीति में प्रवेश अकस्मात नहीं है, उनकी राजनीति में एंट्री के पीछे महिला वोटबैंक, मिथिला कनेक्शन और म्यूजिक ये तीन फैक्टर काम कर रहे हैं. भोजपुरी एक्टर और गायक पवन सिंह से हताश बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव में मैथिली ठाकुर के जरिए इन्हीं फैक्टर्स को हथियार बनाने का फैसला किया है

हाल में मैथिली ठाकुर की बीजेपी (BJP) के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े एवं केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात से उनकी राजनीति में एंट्री को हवा मिली है और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बेनीपट्टी विधानसभा सीट से मैथिली ठाकुर को टिकट दिया जा सकता है।

मिथिला की रहने वाली मैथिली ठाकुर बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड में भी पूरी तरह से फिट बैठती हैं. माता सीता का मिथिलांचल से कनेक्शन रहा है और हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मां सीता के पनौराधाम मंदिर के पुनरुद्धार की योजना का शिलान्यास किया था और मैथिली ठाकुर भी मिथिला की ही बेटी हैं. उनके जरिए बीजेपी की नजर ब्राह्मण वोटबैंक पर है।

मैथिली के जरिए महिला वोटर्स पर नजर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक विरासत को मुद्दा बनाते रही है और लोकगायिका के रूप में उनकी लोकप्रियता उन्हें इस पैमाने पर भी खरा उतारता है।

मैथिली ठाकुर अपनी लोकगायकी की वजह से बिहार की ग्रामीण और महिलाओं में काफी लोकप्रिय हैं. बीजेपी का मानना है कि लोकसंस्कृति से जुड़ी पहचान और उनकी साफ-सुथरी छवि महिला मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करेगी।

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वैसे भी आधी आबादी पर बीजेपी का फोकस रहा है और बीजेपी पिछले चुनाव में अपनी नैया आधी आबादी के वोट जरिए पार लगाती रही है. इस बार भी नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले महिलाओं ने कई योजनाओं का ऐलान किया है. इसमें मासिक भत्ता से लेकर अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

ब्राह्मण वोट बैंक साधने की कोशिश

वहीं, मैथिली ब्राह्मण समाज से हैं और मैथिली ठाकुर की राजनीति में एंट्री से मिथिलांचल के ब्राह्मण समाज में उनकी स्वीकार्यता बीजेपी को बढ़त दे सकती है, हाल के दिनों में मिथिलांचल के ब्राह्मणों में बीजेपी की स्वीकार्यरता को लेकर सवाल उठे हैं।

लोकगायिका के रूप में मैथिली की लोकप्रियता के मद्देनजर ही साल 2023 में उन्हें बिहार का स्टेट आइकन चुनाव आयोग ने बनाया था. वह चुनाव के दौरान मतदाता जागरूकता का चेहरा बनी थीं और यही लोकप्रियता उन्हें अब राजनीति में एंट्री करवा रहा है।

इसी साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली में आयोजित नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड्स समारोह में मैथिली ठाकुर को कल्चर एंबेसडर ऑफ द ईयर सम्मान से सम्मानित किया गया था. उस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के आग्रह पर एक भगवान शिव का एक भजन गया था, जिसकी काफी सराहना हुई थी।

राम मंदिर और माता सीता से कनेक्शन

इसी तरह से अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी पीएम मोदी ने लोकगायिका के भजन की खूब प्रशंसा की थी और उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा भी था कि मैथिली की प्रस्तुति श्रीराम और मां शबरी की कथा का स्मरण दिलाता है।

बीजेपी की रणनीति मैथिली के बहाने मैथिली और सीता मां के कनेक्शन को भी जोड़ना है. अगस्त में सीता माता मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार शामिल हुए थे. सितंबर 2023 में ही नीतीश सरकार ने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में माता सीता के जन्मस्थान के विकास के लिए 72 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।

राजनीति में मैथिली की एंट्री पर सवाल

लोकगायिका के रूप में मैथिली ठाकर ने काफी लोकप्रियता हासिल की हैं, लेकिन राजनीति की डगर इतना आसान नहीं होगा. एक वर्ग उनकी राजनीति में एंट्री का विरोध कर रहा है और सवाल उठा रहा है कि लोकगायिका को राजनीति में प्रवेश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने बेनीपट्टी या मिथिला के लिए ऐसा कुछ नहीं किया है।

स्थानीय पत्रकार बिदेश्वर नाथ झा उनकी राजनीति में एंट्री पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है, मैथिली ठाकुर जब अपने गांव उड़ेन आती हैं तो आने से पहले कभी नहीं बताती हैं कि मैं गांव जा रही हूं या गांव में हूं, ताकि लोग उससे मिलने ना आये. उन्हें अपने प्रशंसक दरवाजे पर नहीं बल्कि फेसबुक व यूट्यूब पर ही अच्छे लगते हैं, जिससे पैसे आते हैं. वह गांव से 2-4 वीडियो बनाकर दिल्ली लौट जाती है तब बताती है कि मैं गांव गई थी।

वह लिखते हैं, उन्होंने आज तक कभी उच्चैठ भगवती स्थान की तस्वीर पोस्ट कर दुनिया को बताया कि मेरे इलाके में एक ऐसी भी भगवती विराजित हैं जिनका जिक्र महाभारत, रामायण काल में है।

उन्होंने सवाल किया कि ‘जेहने किशोरी मोरी’ गाने वाली मैथिली ने कभी गिरिजास्थान, कलना का वीडियो ब्लॉग बनाकर दुनिया को बताया कि सीताजी यहां फूल लोढ़ने आया करती थी? मैथिली ने कभी कालिदास डीह का वीडियो बनाकर अपने 25 मिलियन फॉलोवर को बताया कि कालिदास हमारे हैं? मैथिली कभी बिस्फी विद्यापति डीह पर जाकर फॉलोवर्स को बताई कि विद्यापति जी का हमारे क्षेत्र से क्या नाता है? उन्होंने कहा कि मैथिली ठाकुर ने बेनीपट्टी के लिए कुछ भी नहीं किया है और कोई भी समाजसेवा का काम नहीं किया है।

कमाई कैसे होती है मैथिली ठाकुर की?

एक शो का कितना कमाती हैं मैथिली ठाकुर? मैथिली ठाकुर आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। वो एक महीने में कम से कम 12-15 शो करती हैं। इसके अलावा वो एक शो का 5 से 7 लाख रुपये चार्ज करती हैं।

मैथिली ठाकुर कौन हैं?मैथिली ठाकुर का परिचय

जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार में मधुबनी जिले के बेनीपट्टी इलाके में हुआ। मैथिली ठाकुर को बचपन से ही गीत-संगीत का माहौल मिला और वो इसी में पली बढ़ीं। यही वजह है कि उनमें लोक गीत को लेकर रुचि जाग गई। मैथिली ठाकुर के पिता जी का नाम रमेश ठाकुर है, जो खुद भी संगीतज्ञ हैं।

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