कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बंगाल की राजनीति अपने चरम पर है। इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) ने बड़ा बयान देते हुए खुलासा किया कि उन्होंने अब तक एसआईआर फॉर्म नहीं भरा है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत नहीं है और ऐसा करना अपमानजनक है।
ममता का बयान-“नागरिकता साबित करना अपमानजनक”
बनर्जी ने कहा, मैंने अभी तक फॉर्म फिलअप नहीं किया है। क्यों करूं? मैं तीन बार की केंद्रीय मंत्री रही हूं, सात बार सांसद रही हूं और आपके आशीर्वाद से तीन बार मुख्यमंत्री बनी हूं। अब मुझे प्रमाणित करना होगा कि मैं नागरिक हूं या नहीं। इससे तो जमीन पर नाक रगड़ना बेहतर है।
भाजपा पर 1.5 करोड़ नाम हटाने का आरोप
इससे पहले नादिया जिले के कृष्णनगर में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और केंद्र सरकार बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि अमित शाह सीधे तौर पर मतदाताओं की सूची से 1.5 करोड़ नाम हटाने की कोशिशों को गाइड कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एसआईआर के दौरान एक भी योग्य मतदाता का नाम हटाया गया, तो वह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगी।
दादा-दादी के दस्तावेज जमा करने वालों को लेकर चिंता
मुख्यमंत्री ने उन रिपोर्टों का उल्लेख किया जिनमें कहा गया था कि जिन लोगों ने दस्तावेज़ में दादा-दादी के नाम दिए हैं, उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा और नाम हटाए जाने की आशंका है। उन्होंने इसे एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा बताया।
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सीईसी का स्पष्टीकरण— ममता को फॉर्म भरने की बाध्यता नहीं
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री सहित संवैधानिक पदाधिकारियों को ‘मार्क्ड इलेक्टर’ श्रेणी में रखा जाता है, इसलिए उन्हें सामान्य नागरिकों की तरह एसआईआर फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है। इस श्रेणी में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य संवैधानिक पद शामिल हैं।
एसआईआर प्रक्रिया— ड्राफ्ट रोल 16 दिसंबर को
बंगाल में एसआईआर का पहला चरण आज गुरुवार को खत्म हो रहा है। 16 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी होंगे, जबकि सुनवाई व सत्यापन दिसंबर और जनवरी के बीच चलेंगे। अंतिम मतदाता सूची फरवरी के मध्य में प्रकाशित की जाएगी।
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