Latest Hindi News : महिला वोटरों के नाम कटे, SIR की रिपोर्ट से जदयू में बढ़ी बेचैनी

By Anuj Kumar | Updated: October 2, 2025 • 10:23 AM

पटना। बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नवीनतम वोटर लिस्ट (Voter List) ने राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ा दी है। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के लिए यह आंकड़े चिंता का सबब बने हुए हैं। सूची से पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिला मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जबकि महिला वोट को नीतीश कुमार का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है।

महिला वोट : नीतीश का सबसे बड़ा सहारा

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के कार्यकाल में बिहार की राजनीति में महिला वोटरों ने निर्णायक भूमिका निभाई है। 2015 से लेकर 2024 तक हर चुनाव में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने मतदान किया।
महिला मतदाता अब एक अलग जाति की तरह माने जाते हैं और सभी दल उन्हें साधने में जुटे रहते हैं। ऐसे में महिला वोटरों की संख्या घटने से राजनीतिक समीकरण पर गहरा असर पड़ सकता है।

आयोग की सफाई

चुनाव आयोग ने सफाई दी है कि महिलाओं के नाम मायके और ससुराल दोनों जगह दर्ज थे, इसलिए डुप्लिकेट प्रविष्टि हटाई गई है। साथ ही मृत्यु, पता बदलने, लापता होने और कम उम्र के कारण भी बड़ी संख्या में नाम काटे गए।

वोटर लिस्ट में बड़ा अंतर

कारण:

महिला वोटरों की सबसे अधिक कटौती वाले जिले

महिला वोट बैंक पर नीतीश की पकड़

बिहार में महिला मतदाताओं की जातीय-सामाजिक हिस्सेदारी काफी अहम है।

नीतीश का महिला फोकस

अब तक किसी भी दल या नेता ने महिला वोटरों में सेंध नहीं लगाई है। यही कारण है कि इस चुनाव में भी नीतीश कुमार ने महिला वोटरों को साधने पर सबसे ज्यादा फोकस किया है।
हाल ही में उन्होंने जीविका दीदी (Jiwika Didi) आशा वर्कर, आंगनबाड़ी सेविका और महिला शिक्षिकाओं के लिए कई घोषणाएं कीं।

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