नई दिल्ली,। परमाणु बम दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार है। ये एक झटके में लाखों लोगों को मौत की नींद सुला सकता है और शहरों को मिट्टी के ढेर में बदल सकता है। परमाणु बम (Atomic Bomb) शब्द से आमतौर पर फिशन बम को समझा जाता है, लेकिन असल में न्यूक्लियर हथियार कई प्रकार के होते हैं — फिशन, थर्मोन्यूक्लियर, न्यूट्रॉन और डर्टी बम। उप-प्रकारों के साथ यह 6–7 प्रकार तक पहुँच जाते हैं और हर बम की अलग विशेषताएं होती हैं।
फिशन बम -बुनियादी एटॉमिक बम
फिशन बम में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 जैसे भारी परमाणुओं का इस्तेमाल होता है। इसका डिज़ाइन दो हिस्सों को जोर से टकराकर चेन रिएक्शन शुरू करने पर आधारित होता है — जैसे दो गेंदें आपस में टकराकर फट जाएँ। इसके दो मुख्य प्रकार हैं: गन-टाइप (यूरेनियम के लिए) और इम्प्लोजन-टाइप (प्लूटोनियम के लिए)। आकार में यह छोटा (3–5 मीटर), वजन में भारी (4–5 टन) होता है और ताकत लगभग 10–20 किलोटन TNT के बराबर हो सकती है। प्रभाव: 1–2 किमी दायरे में विनाश, तापमान ~10,000°C, कई हजारों की तात्कालिक मौतें और लंबी अवधि के कैंसर। हिरोशिमा (Hiroshima) का उदाहरण दिया जा सकता है।
थर्मोन्यूक्लियर बम -हाइड्रोजन बम (फ्यूजन)
थर्मोन्यूक्लियर या हाइड्रोजन बम फिशन से लगभग 1000 गुना अधिक शक्तिशाली हो सकता है। इसमें फिशन ट्रिगर (यूरेनियम/प्लूटोनियम) और फ्यूजन (हाइड्रोजन आइसोटोप) दोनों शामिल होते हैं — दो चरणीय तेलर-उलाम डिज़ाइन आम है। आकार 5–10 मीटर, वजन 8–10 टन और यील्ड 100 किलोटन से लेकर 50 मेगाटन तक हो सकती है (जैसे त्सार बोम्बा)। प्रभाव बहुत व्यापक — 10–20 किमी के दायरे में विनाश, विशाल तापमान (लगभग 1 लाख°C), व्यापक आग, भूकंप जैसा झटका, EMP प्रभाव और लाखों तात्कालिक तथा दीर्घकालिक हताहत।
न्यूट्रॉन बम -रेडिएशन-विशेष हथियार
न्यूट्रॉन बम (Neutron Bomb) थर्मोन्यूक्लियर का एक प्रकार है जिसका उद्देश्य अधिक रेडिएशन फैलाकर जीवों को मारना और भौतिक संरचनाओं को बचाए रखना है। इसमें प्लूटोनियम कोर और कम घना टैंपर (जैसे बेरिलियम) रहता है ताकि न्यूट्रॉन बाहर निकल सकें। यह छोटा व हल्का होता है (2–3 मीटर, 1–2 टन), यील्ड 1–10 किलोटन और असर 0.5–2 किमी तक सीमित होता है। परिणामस्वरूप इमारतें अपेक्षाकृत बच सकती हैं पर लोग रेडिएशन से 1–2 दिनों में मर सकते हैं; सैनिकों के खिलाफ “क्लीन” विकल्प के रूप में माना जाता है।
डर्टी बम -रेडियोलॉजिकल बम (न्यूक्लियर नहीं)
डर्टी बम असल न्यूक्लियर हथियार नहीं है; यह रेडियोएक्टिव सामग्री फैलाने वाला विस्फोटक उपकरण है। इसमें सामान्य बारूद के साथ रेडियोएक्टिव कचरा भरा जाता है — कोई चेन रिएक्शन नहीं होता। आकार छोटा (बैग साइज), वजन 10–20 किलो; यील्ड बहुत कम (कुछ किलोग्राम–दर्जनों किलोग्राम TNT समकक्ष)। तात्कालिक धमाका छोटा होता है पर विकिरण प्रदूषण 1–5 किमी तक फैल सकता है, जिससे सालों तक कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं। यह आतंकवादी घटनाओं के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है।
अन्य उपप्रकार-बूस्टेड, प्योर फ्यूजन, टैक्टिकल आदि
बूस्टेड फिशन बम: फिशन के साथ थोड़ी फ्यूजन (गैस बूस्टर) — अधिक कुशल, यील्ड 100–500 केटी।
प्योर फ्यूजन (यदि सम्भव हुआ): केवल फ्यूजन—कम रेडिएशन; यील्ड अनुमानित 1–10 केटी।
टैक्टिकल न्यूक्लियर बम: छोटे युद्धक्षेत्रीय हथियार, यील्ड 0.1–30 केटी, निकटवर्ती सैनिकों व लक्ष्यों के लिए।
वैश्विक परिदृश्य और खतरे
विश्व में अनुमानित 12,000 से अधिक परमाणु हथियार मौजूद हैं; अधिकांश थर्मोन्यूक्लियर प्रकार के हैं। ये हथियार न सिर्फ तत्काल जीवन को छीनते हैं, बल्कि दीर्घकालिक रूप से पर्यावरण, आर्थिक एवं सामाजिक ढाँचे को भी तबाह कर देते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एनपीटी जैसे समझौते इन हथियारों को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, पर तकनीकी व भू-राजनीतिक कारणों से चुनौतियाँ बनी रहती हैं। भारत और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय राष्ट्रों के पास भी परमाणु क्षमता है, जिसका प्रभाव क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहरा है।
Read More :