सरकार ने जारी की गाइडलाइन
गुजरात में दिवाली (Diwali) को लेकर राज्य सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं. सरकार ने कुछ गाइडलाइन जारी की हैं, जिनका पालन करना जरूरी होगा. अगर कोई इन गाइडलाइन का पालन नहीं करता है तो उन पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. राज्य सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक पटाखे फोड़ने का टाइम निर्धारित किया गया है. यानी पटाखे फोड़ने के लिए समय तय किया गया है।
दिवाली अब रात के 8 बजे से 10 बजे तक ही लोग पटाखे (pataakhe) फोड़ सकेंगे. इसके साथ ही जो पटाखे ज्यादा शोर मचाते हैं. उन पर बैन लगा दिया गया है. राज्य सरकार की ओर कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक इस साल पटाखे फोड़ने के लिए एक समयसीमा तय की गई है. इसके साथ ही वॉर्निंग दी गई है कि इन निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
इन पटाखों पर रहेगा बैन
सुप्रीम कोर्ट की गाइडनलाइन के मुताबिक राज्य में बम, रॉकेट और ऐसे पटाखे जो तेज आवाज करते हैं, जिस वजह से ध्वनि प्रदूषण में इजाफा होता है. ऐसे पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. सिर्फ ग्रीन पटाखों को फोड़ने की ही इजाजत दी गई है और उनके लिए भी समय तय की गई है. ऐसे पटाखे ही फोड़ने की इजाजत है, जिनसे प्रदूषण कम होता है।
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राज्य सरकार ने क्या कहा?
त्योंहारों के सीजन में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ रहा है. इसी को देखते हुए गुजरात सराकर की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वह त्योहार एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी से मनाएं, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और बाकी लोगों के सुकून का भी ख्याल रखें. सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि इस दिवाली पटाखे समय सीमा में ही फोड़े।
भारत में सबसे ज्यादा पटाखे कहाँ बनते हैं?
भारत मे सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन तमिलनाडु राज्य के शिवकाशी शहर मे होता है . शिवकाशी को Capital of indian firecrackers भी कहा जाता है , क्योकी भारत का 55% पटाखा उत्पादन शिवकाशी से ही होता है . यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें।
पटाखे में कौन सी गैस भरी जाती है?
क्योंकि पटाखे से निकलनेवाली गैस सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड कार्बन मोनो ऑक्साइड और हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी मैग्निशियम हम सभी के लिए खतरनाक है। यह स्वस्थ्य व्यक्ति को तुरंत बीमार कर सकता है। ऐसे में बीमार व्यक्तियों को ज्याद ध्यान देने की जरूरत है।
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