National : ब्रह्मोस की मार से कराह रहा पाकिस्तान, चालू नहीं हो पाया एयरबेस

By Anuj Kumar | Updated: July 20, 2025 • 11:00 AM

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तान को ऐसे गहरे जख्मदिए, जो अब तक भर नहीं पाए हैं। इसका एक उदाहरण तो पाकिस्तानी एयरफोर्स का सबसे बड़ा एयरबेस रहीम यार खान है। ब्रह्मोस मिसाइल के हमले से इस एयरबेस (Airbase) पर ऐसी तबाही मची कि दो महीने बीत जाने के बाद भी यह अब तक चालू नहीं हो सका है। पाकिस्तान एयरपोर्ट अथॉरिटी (Pakistan Airport Authority) ने अपने रनवे के लिए एक और ‘नोटिस टू एयरमेन’ जारी किया है, जिसमें इसे 5 अगस्त तक इस्तेमाल न करने की घोषणा की गई है। इस हमले से पाकिस्तान बिल्कुल बोखलाया हुआ है। उसकी एयरपोर्ट अथॉरिटी ने भारतीय एयरलाइंस की उड़ानों के लिए 24 अगस्त तक अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है।

अब एक बार फिर 5 अगस्त तक रनवे बंद रखने का एलान हुआ है

10 मई की शाम को पहली बार नोटम जारी कर रनवे को अस्थायी रूप से बंद किया गया था, लेकिन हालात सुधरने की बजाय बिगड़ते गए। पहले इसे 18 मई तक बंद किया गया, फिर जून की शुरुआत में इसे 4 जुलाई तक बढ़ाया गया और अब एक बार फिर 5 अगस्त तक रनवे बंद रखने का एलान हुआ है। इसका मतलब है कि भारत की कार्रवाई से हुए नुकसान की भरपाई पाकिस्तान अब तक नहीं कर सका है। पाकिस्तानी जिला आयुक्त ने मई में ही स्थानीय मीडिया को बताया था कि मिसाइल स्ट्राइक से रनवे पर विशाल गड्ढा बन गया था, लेकिन अब दो महीने के बाद भी एयरबेस का ठीक न हो पाना यह साबित करता है कि नुकसान काफी गहरा हुआ है। केवल एयरबेस ही नहीं, बहावलपुर स्थित ‘मरकज़ सुब्हान अल्लाह’ नाम का टेररिस्ट ट्रेनिंग कैंप भी इस हमले में मलबे में तब्दील हो गया। यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य अड्डा था, जिसे अब अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, जैश की लीडरशिप अब भीड़-भाड़ वाले नए ठिकाने की तलाश कर रही है ताकि निगाहों से बचा जा सके। भारत की यह कार्रवाई महज एक सैन्य जवाब नहीं थी, बल्कि यह रणनीतिक दबदबे और नई सैन्य नीति का प्रदर्शन थी। ब्रह्मोस मिसाइलों की तेज़ी, सटीकता और ताकत ने पाकिस्तान के रक्षा ढांचे में ऐसा छेद किया है, जिसकी मरम्मत आसान नहीं दिखती। पाकिस्तान अब न सिर्फ अपने एयरबेस को फिर से खड़ा करने की जद्दोजहद में जुटा है, बल्कि अपनी गिरती सैन्य साख और डगमगाते हौसले से भी जूझ रहा है। ब्रह्मोस की मार और ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति ने साफ कर दिया है कि भारत अब केवल शब्दों से नहीं, कार्रवाई से जवाब देगा।

पाकिस्तान का यह एयरबेस अब ‘आईसीयू में पड़ा हुआ है’।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मई के अंत में राजस्थान के बीकानेर में एक जनसभा में साफ शब्दों में कहा था कि पाकिस्तान का यह एयरबेस अब ‘आईसीयू में पड़ा हुआ है’। यह बयान अब भविष्यवाणी नहीं, हकीकत बनता दिख रहा है। भारत ने रहीम यार खान एयरबेस के साथ ही पाकिस्तान के अन्य सैन्य अड्डों जैसे नूर खान (चकला), रफीकी (शोरकोट), मुरीद (चकवाल), और चुनियान पर भी स्ट्राइक की थी। नूर खान पर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचा, जबकि चुनियान में तकनीकी सुविधाएं तबाह हो गईं।

ब्रह्मोस मिसाइल के जनक कौन हैं?

पिल्लई को “ब्रह्मोस का जनक” माना जाता है, यह भारत और रूस के बीच सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के डिजाइन, विकास, उत्पादन और विपणन के लिए संयुक्त उद्यम है और वे ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण कब और कहाँ हुआ था?

ब्रह्मोस का पहला सफल प्रक्षेपण 12 जून 2001 को हुआ था। मिसाइल का परीक्षण उड़ीसा के चांदीपुर तट के निकट अंतरिम परीक्षण रेंज में भूमि आधारित लांचर से किया गया था। इसके बाद, यह संयुक्त उद्यम कंपनी सुर्खियों में आई और घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनियों में भाग लेने लगी।

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