Latest News : पीएम मोदी ने किए सप्त ऋषियों और शेषावतार के दर्शन

By Surekha Bhosle | Updated: November 25, 2025 • 3:52 PM

राम मंदिर परिसर में विशेष दर्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या के राम मंदिर पहुंचे, जहाँ उन्होंने सप्त ऋषियों की प्रतिमाओं और शेषावतार के दर्शन कर पूजाअर्चना की।
यह अवसर आध्यात्मिकता और श्रद्धा का संगम रहा।

सांस्कृतिक विरासत का सम्मान

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर में आज ध्वजरोहण (flag hoisting) कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी समेत कई दिग्गज शामिल हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही ध्वजारोहण किया. इससे पहले ने सप्त ऋषियों के दर्शन भी किए. इसके साथ ही भगवान शेषावतार लक्ष्मण की पूजा की और जलाशय भी देखा. इससे पहले उन्होंने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक करीब डेढ़ किमी लंबा रोड शो किया. लोगों ने यहां जमकर नारेबाजी की और फूल बरसाए

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अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi) ने अपने दौरे की शुरुआत सप्त ऋषि मंदिर से की. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने सातों ऋषियों के मंदिर में पूजा-अर्चना की. यह मंदिर परिसर में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी को समर्पित है।

अयोध्या में PM नरेंद्र मोदी और RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने राम लला के गर्भ गृह में पूजा अर्चना की. UP के CM योगी आदित्यनाथ और गवर्नर आनंदीबेन पटेल भी इस दौरान मौजूद रहे।

शेषावतार मंदिर में की पीएम मोदी ने पूजा

अयोध्या में ऐतिहासिक ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्थित शेषावतार मंदिर में पूजा-अर्चना की. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने भगवान शेषावतार के दर्शन किए और मंदिर में विशेष अनुष्ठान संपन्न किया. इसके बाद पीएम मोदी रामलला के गर्भगृह में भी दर्शन करेंगे और अभिजीत मुहूर्त में मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराएंगे।

विशेष तौर पर तैयार कराया गया ध्वज

राम मंदिर के ऊपर फहराया जाने वाला भगवा ध्वज 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा है, जिसमें भगवान राम की वीरता का प्रतीक चमकता हुआ सूरज, ओम का निशान और कोविदार का पेड़ है. यह ध्वज मंदिर के शिखर पर पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में लहराया है. पहली बार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से श्रीराम विवाहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जनकपुर से तिलक भी अयोध्या पहुंच चुका है।

सप्त ऋषियों की कहानी क्या है?

 प्राचीन काल में सात ऋषियों का एक समूह था जिसे सप्तऋषि कहा जाता था।वेदों में इन सात ऋषियों को वैदिक धर्म का संरक्षक माना गया है। इन्हीं ऋषिओं के नाम से कुल के नामों का भी पता लगाया जाता है। इन ऋषियों पर ब्रह्माण्ड में संतुलन बनाए रखने और मानव जाति को सही राह दिखाने की जिम्मेदारी है।

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