नई दिल्ली,। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (Air Pollution) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। शाम ढलते ही शहर के कई हिस्सों में स्मॉग (Smog) की मोटी चादर छा जाती है, जिससे आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। बिगड़ती स्थिति ने अब देश के शीर्ष पद्म सम्मानित डॉक्टरों को भी चिंतित कर दिया है।
डॉक्टरों ने दी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसी चेतावनी
डॉक्टरों के एक समूह ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि दिल्ली, मुंबई और कई महानगरों में एयर क्वालिटी (AQI) इतनी खराब हो चुकी है कि यह सीधे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बन चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और दिल व फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए गंभीर खतरा हैं।
जहरीली हवा से बढ़ रहा अस्थमा और हार्ट अटैक का खतरा
80 से अधिक प्रसिद्ध डॉक्टरों द्वारा हस्ताक्षरित एडवाइजरी में बताया गया है कि जहरीली धुंध के कारण अस्थमा के मरीजों में दौरे बढ़ रहे हैं, और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का जोखिम दोगुना हो गया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि लगातार इस तरह के वातावरण में रहने से बच्चों के फेफड़ों का विकास रुक सकता है और यह नुकसान स्थायी हो सकता है।
नागरिकों के लिए विशेषज्ञों की सावधानियां
विशेषज्ञों ने चेताया कि स्वच्छ हवा कोई विकल्प नहीं, बल्कि हर नागरिक का मूल अधिकार है। उन्होंने नागरिकों को आवश्यक सावधानियां अपनाने की सलाह दी है—
- बाहर निकलते समय एन-95 मास्क पहनें
- घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
- प्रदूषण के चरम समय में वॉक/जॉगिंग से बचें
- खिड़की-दरवाजे बंद रखें
- जिनके पास एयर प्यूरीफायर नहीं हैं, वे गीले कपड़े से सफाई करें, रसोई में धुआं जमा न होने दें, उचित वेंटिलेशन रखें
समाधान सरकार और समुदाय के संयुक्त प्रयास से ही संभव
डॉक्टरों ने कहा कि केवल व्यक्तिगत सावधानी पर्याप्त नहीं होगी। वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए सरकार और समुदाय को भी सक्रिय कदम उठाने होंगे। इसमें कचरा और पत्तियों को खुले में जलाने पर प्रतिबंध, वाहनों के प्रदूषण पर नियंत्रण और निर्माण स्थलों पर कड़ाई से धूल नियंत्रण जैसे उपाय शामिल हैं।
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