पटना,। कहते हैं कि दो लोगों के झगड़े में तीसरा फायदा उठा लेता है। बिहार (Bihar) में तीसरा कोई और नहीं बल्कि प्रशांत किशोर उर्फ पीके हैं। पीके लालू परिवार के झगड़े का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत महिला हेल्पलाइन से कर दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए (NDA) की प्रचंड जीत के बाद जहां महागठबंधन के नेता सार्वजनिक मंचों से लगभग गायब हैं, वहीं जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। चुनावी हार के बावजूद पीके ने न सिर्फ लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया, बल्कि खुद को विपक्ष की मुख्य धुरी के रूप में स्थापित करने की कोशिश भी शुरू कर दी है।
महिलाओं के लिए हेल्पलाइन जारी, कार्यकर्ताओं को दिया टास्क
पीके ने महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 9121691216 जारी किया और कहा कि जन सुराज के कार्यकर्ता हर महिला की मदद करेंगे, ताकि वे सरकारी दफ्तरों में जाकर अपने हक की मांग कर सकें।
उन्होंने कहा, “हमसे भले गलती हुई हो, लेकिन हमने विभाजनकारी राजनीति या गरीबों का वोट खरीदने जैसा अपराध नहीं किया।” पीके ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें चुनाव से पहले ही कठिन नतीजों का अंदाजा था, इसी कारण उन्होंने कहा था कि जन सुराज (Jan Suraj) चुनाव के बाद या तो “अर्श” पर होगी या “फर्श” पर।
शपथ दिवस पर करेंगे 24 घंटे का मौन उपवास
20 नवंबर को पीके उस स्थान पर लौटेंगे, जहां से उन्होंने 2 अक्टूबर 2022 को जन सुराज आंदोलन की शुरुआत की थी—पश्चिम चंपारण।
शपथ ग्रहण के दिन उनका मौन उपवास गांधीवादी संघर्ष का प्रतीक माना जा रहा है।
यह उपवास भीतिहरवा स्थित गांधी आश्रम में होगा, यही वह जगह है जहां 1917 में महात्मा गांधी के सत्याग्रह की शुरुआत हुई थी।
हार के बाद भी पीके सक्रिय, महागठबंधन नेता मंच से गायब
पीके ने स्वीकार किया कि जन सुराज का प्रदर्शन उम्मीद से कमजोर रहा। लगभग 3.34 प्रतिशत वोट शेयर के बावजूद पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और 238 में से 236 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
फिर भी पार्टी 129 सीटों पर तीसरे स्थान और एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही।
उधर, चुनाव परिणामों के बाद से
- तेजस्वी यादव
- राहुल गांधी
दोनों ही सार्वजनिक मंचों से दूर हैं।
तेजस्वी पारिवारिक विवादों में घिरे बताए जा रहे हैं और राहुल गांधी ने केवल एक्स पर एक पोस्ट डालकर चुनाव को चौंकाने वाला बताया था।
नई सरकार को 6 महीने की चुनौती: ‘महिलाओं को 2-2 लाख दें, मैं राजनीति छोड़ दूंगा’
पीके ने नई एनडीए सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर सरकार अपने चुनावी वादे के अनुसार 1.5 करोड़ महिलाओं को 2-2 लाख रुपये दे देती है, तो वे राजनीति छोड़ देंगे—यहां तक कि बिहार भी छोड़ देंगे। उन्होंने दावा किया कि यह वादा चुनाव प्रचार में सरकारी मशीनरी की मदद से बढ़ा-चढ़ाकर बेचा गया था, और इसे पूरा करने के लिए उन्होंने सरकार को 6 महीने की समय सीमा दी है।
विपक्ष की खाली जगह पर पीके की नजर
तेजस्वी और राहुल की चुप्पी के बीच पीके की सक्रियता उन्हें स्वाभाविक रूप से सबसे प्रमुख विपक्षी चेहरे के रूप में स्थापित कर रही है।
हार के बाद भी
- उनकी रणनीति
- जनता से जुड़े मुद्दे उठाने की शैली
- महिलाओं पर सीधा फोकस
उन्हें बिहार में सबसे अधिक दिखाई देने वाला विपक्षी नेता बना रहा है। महिला हेल्पलाइन और गांधीवादी संघर्ष से उनका संदेश स्पष्ट है—वे विपक्ष की खाली जगह भरने के लिए पूरी तैयारी में हैं।
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