Ganapati Festival : तैयारी जोरों पर, पीओपी की मूर्तियों से हटा बैन

By Anuj Kumar | Updated: August 5, 2025 • 11:51 AM

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में गणपति (Ganpati) के स्वागत के लिए तैयारी जोरों पर हैं, बाजार में दुकानदार, कंपनियां, राजनीतिक दल और सरकार भी तैयारी में जुट गई है। इस बार मूर्तिकारों और गणेशोत्सव मंडलों में उत्साह है क्योंकि पीओपी से बनी मूर्तियों पर काफी समय से चल रहा प्रतिबंध हट गया है। महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव को राजकीय उत्सव घोषित किया है। त्योहारों में उत्साह जितना होता है, कारोबार भी उतना ही ज्यादा होता है। गणेशोत्सव इस साल 27 अगस्त से शुरू होगा।

बंबई हाईकोर्ट (Bombay High court) ने पीओपी से बनी 6 फुट से ऊंची मूर्तियों का ही विसर्जन समुद्र में करने की इजाजत दी है। 6 फुट तक की मूर्तियां कृत्रिम तालाबों और जल कुंडों में विसर्जित की जाएंगी। महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि 6 फुट से ऊंची मूर्तियां समुद्र में विसर्जित करने की इजाजत दी जाए क्योंकि पीओपी से बनी मूर्तियों पर रोक मूर्तिकारों की रोजी-रोटी छीन सकती है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने 2024 में 5 फुट तक की करीब 1.95 लाख मूर्तियों के विसर्जन के लिए 204 कृत्रिम टैंक बनवाए थे लेकिन केवल 85,000 मूर्तियों का विसर्जन इन टैंकों में किया गया और बाकी को समुद्र या नदियों में विसर्जित किया गया था। गणेशोत्सव में मूर्तियों का आकर्षण ही मूर्तिकार के कारोबार को करोड़ रुपए में पहुंचा देता है।

पिछले साल से करीब 10 फीसदी महंगी रहेंगी

विसर्जन की शर्त नरम करने से इस साल उनका कारोबार 15 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। पिछले कुछ साल में मिट्टी, पीओपी, कूची और रंग आदि के दाम बढ़ने से मूर्तियों के दाम भी बढ़ गए हैं और इस साल मूर्ति पिछले साल से करीब 10 फीसदी महंगी रहेंगी। एक मूर्तिकार बताया कि मूर्तियों की बुकिंग शुरू हो चुकी है। मुंबई और आसपास के इलाके में 1 फुट की गणेश की मूर्ति 2,000 से 3,000 रुपए की है। पिछले साल गणेशोत्सव में करीब 550 करोड़ रुपए का मूर्तियों का कारोबार हुआ था, जो इस साल 600 करोड़ रुपए के पार पहुंचने की उम्मीद है।

घर-घर में 6 इंच से 12 फुट तक ऊंची मूर्तियां बनती रहती हैं

गणेशोत्सव के पहले तो महाराष्ट्र के करीब हर हिस्से में मूर्तियां बनती है लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में मूर्तियों के कारखाने साल भर चलते रहते हैं। रायगढ़ जिले की पेण तहसील और इसके आसपास का क्षेत्र गणपति की मूर्तियों का केंद्र माना जाता है। गणेशोत्सव के 10 दिन और पितृपक्ष के 15 दिन छोड़कर महाराष्ट्र के कई इलाकों में साल भर घर-घर में 6 इंच से 12 फुट तक ऊंची मूर्तियां बनती रहती हैं। इस क्षेत्र में ऐसी 1,600 इकाइयां हैं, जिनका सालाना कारोबार 250 से 300 करोड़ रुपए का है और साल में 3 से 3.25 करोड़ मूर्तियां बनती हैं।

इनमें से करीब 1.25 करोड़ मूर्तियां गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के थोक व्यापारियों के पास जाती हैं, जहां से वे पूरे देश में पहुंचाई जाती हैं। पीओपी प्रतिबंध हटने से मूर्तिकारों का कहना है कि रोक नहीं हटती तो मूर्ति बनाने वाले 2 लाख परिवार बेरोजगार हो जाते और उनका कारोबार चौपट हो जाता


गणेश उत्सव का इतिहास क्या है?

गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी.गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है. मान्यता है कि भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी.

महाराष्ट्र में गणपति उत्सव क्यों मनाया जाता है?

ऐसा कहा जाता है कि गणेश उत्सव की शुरुआत 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में की थी। उस वक्त देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी। ऐसे में तिलक ने गणेश उत्सव के नाम पर लोगों में एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करने के मकसद से गणेश उत्सव मनाते थे।

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