WB : पश्चिम बंगाल में जावेद अख्तर का विरोध, रोकना पड़ा मुशायरा

By Anuj Kumar | Updated: September 2, 2025 • 11:57 AM

कोलकाता,। मशहूर फिल्म गीतकार जावेद अख्तर (Jawed Akhtar) पर अल्पसंख्यक विरोधी बयान देने का आरोप पश्चिम बंगाल जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने लगाया है। जिसके चलते पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी को अपना चार दिन का सांस्कृतिक कार्यक्रम पोस्टपोन करना पड़ा। बता दें इस कार्यक्रम के लिए गीतकार जावेद अख्तर को आमंत्रित किया गया था, तभी से उनका विरोध किया जा रहा था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख इस समय टीएमसी नेता सिद्दीकुल्लाह चौधरी हैं। वह पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) में मंत्री भी है

कार्यक्रम स्थगित, वजह पर चुप्पी

बता दें कि शनिवार को ही अकादमी में हिंदी सिनेमा में उर्दू नाम का कार्यक्रम शुरू हुआ था। इस इवेंट में पॉप्युलर कल्चर में उर्दू के महत्व को रेखांकित किया जाना था। वहीं जावेद अख्तर को मुशायरे की अध्यक्षता करने के लिए बुलाया गया था। अकादमी ने कार्यक्रम को पोस्टपोन करने का ऐलान किया है हालांकि इसके पीछे की वजह नहीं बताई है।

जमीयत ने जताई आपत्ति

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से अकादमी को पत्र लिखकर कहा गया था कि जावेद अख्तर की उपस्थिति से अल्पसंख्यक समुदाय आहत हो सकता है। पत्र में कहा गया कि जावेद अख्तर इस्लाम को लेकर अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं। ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकता।

1987 से सक्रिय है उर्दू अकादमी

पश्चिम बंगाल (West Bengal) उर्दू अकादमी की स्थापना 1987 में हुई थी। उस समय पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार थी। पश्चिम बंगाल में जमीयत के महासचिव मुफ्ती अब्दुस सलाम ने कहा कि जावेद अख्तर ने इस्लाम का अपमान किया है और इसलिए वे उनका विरोध करते हैं।

‘योगदान बड़ा, लेकिन टिप्पणी गलत’

उन्होंने कहा, जावेद अख्तर प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और उर्दू में उनका योगदान भी महत्वपूर्ण है। हालांकि उन्होंने इस्लाम को लेकर टिप्पणी करके गलत किया। जब लोगों को पता चला कि जावेद अख्तर को बुलाया गया है तो विरोध शुरू हो गया। वैसे भी पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी अल्पसंख्यकों के लिए ही है। ऐसे में उसे अल्पसंख्यकों की भावनाओं की भी कद्र करनी होगी

क्या जावेद अख्तर हिंदू है?

इस्लामी परिवेश में पले-बढ़े होने के बावजूद, अख्तर ने खुद को एक “समान अवसरवादी” घोषित किया है जो सभी धर्मों के विरुद्ध है, और उन्होंने अपने बच्चों फरहान और ज़ोया अख्तर को भी नास्तिक के रूप में पाला है। हालाँकि, इस्लामी सभ्यता से जुड़ी अपनी विरासत के कारण, वह खुद को एक “सांस्कृतिक मुसलमान” के रूप में पहचानते हैं।

अख्तर किस धर्म का है?

अख्तर के पिता, जो जन्म और संस्कृति से मुसलमान हैं, एक समाजवादी हैं और खुद को नास्तिक बताते हैं; अख्तर की माँ, जो भारत में एक ईरानी पारसी परिवार में पैदा हुईं, धर्म के प्रति उदासीन हैं और अपने बच्चों को बिना किसी धर्म के बड़ा होने देने में संतुष्ट थीं। अख्तर ने कहा है कि वह नास्तिक हैं ।

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