UP News: 35 जगहों पर छापे, 26 क्लीनिक-अस्पताल सील

By Vinay | Updated: September 5, 2025 • 10:22 AM


48 घंटों में मरीजों की मौत के जिम्मेदार अस्पतालों पर भी कसा शिकंजा, रात 8 बजे तक चला अभियान

मऊ, 5 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के मऊ (Mau) जिले में अवैध अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग (Helth Document) ने गुरुवार को अभूतपूर्व कार्रवाई की। जिले भर में 35 स्थानों पर छापेमारी के दौरान 26 अवैध अस्पतालों और क्लीनिकों को सील कर दिया गया। यह अभियान रात 8 बजे तक चला, जिसमें पिछले 48 घंटों में मरीजों की मौत के लिए जिम्मेदार दो अस्पतालों पर विशेष कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई अवैध चिकित्सा केंद्रों की लापरवाही से हो रही मौतों, खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु के मामलों को लेकर बढ़ते जनाक्रोश और जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद की गई

अभियान का विवरण

जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र के निर्देश पर तीन टीमें गठित की गईं, जिनमें उप जिलाधिकारी (सदर और मधुबन), तहसीलदार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और पुलिस शामिल थे। इन टीमों ने मऊ के विभिन्न क्षेत्रों, खासकर रतनपुरा, बलिया मोड़, फतेहपुर मंडाव और मोहम्मदाबाद गोहना में छापेमारी की।

इन घटनाओं ने स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश पैदा किया। सांसद राजीव राय और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट तलब की।

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति

मऊ में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। जिले में 145 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 89 डॉक्टर उपलब्ध हैं। इस कमी के कारण मरीज निजी अस्पतालों और क्लीनिकों पर निर्भर हैं, जिनमें से कई बिना लाइसेंस और योग्य चिकित्सकों के संचालित हो रहे हैं। इन अवैध केंद्रों में लापरवाही और गलत उपचार के कारण मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है।

जनप्रतिनिधियों का दबाव और प्रशासन की प्रतिक्रिया

सांसद राजीव राय ने कहा, “मऊ में अवैध अस्पतालों का जाल फैला हुआ है। इनके कारण गरीब मरीजों की जान जा रही है। प्रशासन की यह कार्रवाई स्वागतयोग्य है, लेकिन इसे और सख्त करना होगा।” ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।

जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र ने बताया, “हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। अवैध रूप से संचालित सभी अस्पतालों और क्लीनिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। हमारी प्राथमिकता मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार है।”

प्रभाव और भविष्य की दिशा

इस कार्रवाई से अवैध अस्पताल संचालकों में हड़कंप मच गया है। कई क्लीनिक मालिकों ने अपने केंद्र बंद कर दिए हैं, और कुछ ने दस्तावेजों को ठीक करने की कोशिश शुरू की है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि केवल छापेमारी से समस्या का समाधान नहीं होगा। मऊ में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना, डॉक्टरों की भर्ती करना और जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि लोग अवैध क्लीनिकों पर निर्भर न हों।

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत सभी निजी अस्पतालों का पंजीकरण अनिवार्य करेंगे। साथ ही, नियमित निरीक्षण और सख्त निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।

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