SCO summit 2025: मोदी, जिनपिंग और पुतिन की तियानजिन में मुलाकात

By Vinay | Updated: September 1, 2025 • 9:41 AM

चीन के तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भारत, चीन और रूस के नेताओं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की मुलाकात ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी।

यह मुलाकात न केवल SCO के मंच पर तीन महाशक्तियों का महामिलन थी, बल्कि अमेरिकी दबाव और टैरिफ विवाद के बीच एक नए विश्व व्यवस्था के संकेत भी दे रही थी। इन नेताओं की गर्मजोशी भरी मुलाकात और बॉडी लैंग्वेज ने वैश्विक मंच पर एकजुटता का संदेश दिया, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है

मोदी ने 7 साल बाद चीन की धरती पर रखा कदम

मोदी ने 7 साल बाद चीन की धरती पर कदम रखा और शी जिनपिंग के साथ 40 मिनट की द्विपक्षीय बैठक में सीमा विवाद, व्यापार और सहयोग पर चर्चा की। गलवान झड़प के बाद तनावपूर्ण रहे भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में यह मुलाकात अहम रही। दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति, सीधी उड़ानों की बहाली और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर सहमति जताई। जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को “पार्टनर, न कि प्रतिद्वंद्वी” बनना चाहिए, जबकि मोदी ने 2.8 अरब लोगों के कल्याण के लिए सहयोग पर जोर दिया।

भारत रूस सम्बन्धो को चर्चा जोरो पर

मोदी और पुतिन की मुलाकात में भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं की गर्मजोशी और गले मिलने की तस्वीरें भारत-रूस दोस्ती की गहराई को दर्शाती हैं। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब अमेरिका ने भारत के रूसी तेल खरीदने पर 50% टैरिफ लगाया है। SCO समिट में इन तीनों नेताओं की एकजुटता ने ग्लोबल साउथ की एकता और अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति को रेखांकित किया।

SCO समिट में 20 से अधिक देशों के नेता हुए शामिल

SCO समिट में 20 से अधिक देशों के नेता शामिल हुए, जिसमें पाकिस्तान, ईरान और तुर्की जैसे देश भी थे। समिट का मुख्य एजेंडा क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और आर्थिक सहयोग रहा। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह समिट प्रतीकात्मक रूप से ग्लोबल साउथ की एकता को प्रदर्शित करने का मंच था। मोदी ने समिट में भारत की क्षेत्रीय सहयोग की नीति को रेखांकित किया और आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख की वकालत की।

यह मुलाकात न केवल भारत-चीन-रूस के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है, बल्कि ट्रंप की टैरिफ नीति के जवाब में वैकल्पिक व्यापारिक रास्ते तलाशने का संदेश भी देती है। तियानजिन की यह तस्वीर वैश्विक कूटनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।

ये भी पढ़े

breaking news CHINE Hindi News india letest news Russia SCO summit 2025 trump