चीन के तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय मुलाकात ने भारत में राजनीतिक बहस छेड़ दी है। इस मुलाकात पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखा हमला बोला, इसे महज “फोटो सेशन” करार देते हुए कहा कि यह भारतीयों के गंभीर सवालों का जवाब देने में विफल रही। ओवैसी ने सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, और चीन के पाकिस्तान समर्थन जैसे मुद्दों पर ठोस प्रगति न होने पर नाराजगी जाहिर की।
मोदी-शी मुलाकात का संदर्भ
SCO समिट में मोदी और जिनपिंग की 40 मिनट की बैठक में सीमा पर शांति, व्यापार संतुलन, और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। जिनपिंग ने भारत को “पार्टनर, न कि प्रतिद्वंद्वी” कहा, जबकि मोदी ने दोनों देशों की 2.8 अरब आबादी के कल्याण के लिए सहयोग की जरूरत बताई। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने इसे रचनात्मक वार्ता करार दिया, जिसमें सीमा पर गश्त और डिसइंगेजमेंट पर प्रगति की बात कही।[]
ओवैसी की आलोचना
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तंज कसते हुए कहा, “भारतीय जो जवाब चाह रहे थे, वो नहीं मिला। फोटो सेशन, जैकेट का रंग, या कालीन की लंबाई मायने नहीं रखती।” उन्होंने चार प्रमुख मुद्दों पर सवाल उठाए:
- लद्दाख में सीमा स्थिति: ओवैसी ने दावा किया कि 2020 की गलवान झड़प के बाद लद्दाख में भारतीय सैनिक बफर जोन में गश्त नहीं कर पा रहे, और चरवाहों को कई चारागाहों तक पहुंच से वंचित किया गया है।
- चीन का पाकिस्तान समर्थन: उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को चीन के समर्थन और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अफगानिस्तान तक विस्तार पर सवाल उठाया।
- आर्थिक मुद्दे: ओवैसी ने कहा कि चीन ने दुर्लभ मृदा (रेयर अर्थ मटेरियल) की आपूर्ति बहाल करने या भारत से आयात बढ़ाने का कोई वादा नहीं किया।
- नदी जल डेटा: चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के जल डेटा साझा न करने पर भी उन्होंने सवाल उठाया।
ओवैसी ने इस मुलाकात को सतही बताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा से जुड़े सवालों को हल करने में नाकाम रही। उन्होंने इसे संसद के शीतकालीन सत्र में उठाने की बात कही।
भारत-चीन संबंधों का पृष्ठभूमि
2020 की गलवान झड़प के बाद भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण रहे। हाल ही में, अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स समिट से पहले दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट और गश्त पर समझौता किया था। SCO समिट में यह मुलाकात सात साल बाद मोदी के चीन दौरे और दोनों नेताओं की पहली औपचारिक बातचीत थी। भारत ने व्यापार असंतुलन (2024 में $85 बिलियन का घाटा) और सीमा पर स्थिरता पर जोर दिया।