जम्मू,। माता वैष्णो देवी यात्रा गुरुवार से दोबारा शुरू हो गई है। मौसम सही होने के बाद यात्रा शुरू करने का फैसला लिया गया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है। श्राइन बोर्ड (Shrine Board) ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- “माता वैष्णो देवी (Mata Vaishno Devi) यात्रा आज फिर से शुरू हुई। तीर्थयात्रा पंजीकरण काउंटर गुरुवार सुबह 4 बजे खोल दिया गया है, जिसे खराब मौसम के कारण बंद कर दिया गया था।”
लगातार बारिश से यात्रा स्थगित थी
इससे पहले लगातार भारी बारिश के कारण 14 सितंबर से शुरू होने वाली यात्रा को स्थगित कर दिया गया था। श्राइन बोर्ड ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर जानकारी साझा करते हुए लिखा था कि भवन और यात्रा मार्ग पर लगातार हो रही बारिश (Heavy Rains) को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यात्रा स्थगित की जा रही है।12 सितंबर को बोर्ड ने घोषणा की थी कि यात्रा 14 सितंबर से फिर शुरू होगी, लेकिन मौसम खराब होने के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया।
भूस्खलन में 35 श्रद्धालुओं की मौत
गौरतलब है कि 26 अगस्त को जम्मू संभाग में अत्यधिक खराब मौसम के कारण माता वैष्णो देवी मंदिर मार्ग पर भूस्खलन हुआ था। इस हादसे में 35 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। स्थिति गंभीर होने पर प्रशासन ने कटरा में होटलों और धर्मशालाओं को खाली करने का आदेश भी दिया था।
श्राइन बोर्ड की हुई थी आलोचना
भूस्खलन की इस बड़ी घटना के बाद श्राइन बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भी यात्रा प्रबंधन करने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था।
जांच के आदेश
जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने अर्धकुंवारी के पास हुए भूस्खलन की घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन का आदेश दिया था। यह समिति तीन दिन बाद गठित की गई थी ताकि हादसे के कारणों और लापरवाही की पूरी तरह से जांच की जा सके।
वैष्णो देवी का इतिहास क्या है?
वैष्णो देवी का इतिहास हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में महाभारत काल से भी प्राचीन माना जाता है, जहाँ देवी वैष्णो त्रिकुटा पर्वत पर वास करती हैं और अपनी शक्ति से महिषासुर का वध करती हैं, जैसा कि विभिन्न पुराणों में बताया गया है।
मां वैष्णो देवी का रहस्य क्या है?
वैष्णो देवी के रहस्य में माँ का भैरवनाथ से बचना और ९ महीने तक एक गुफा में तपस्या करना शामिल है, जिसे गर्भजून गुफा या अर्द्धकुमारी कहते हैं, और इस गुफा में प्रवेश करने वाली महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव में कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है
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