100 से अधिक फ्लाइट्स की उड़ान में देरी
राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) पर गुरुवार देर रात एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATM) में अचानक तकनीकी खराबी आ गई। इसके चलते सुबह तक लगभग 100 से अधिक फ्लाइट्स में देरी दर्ज की गई।
दिल्ली एयरपोर्ट पर शुक्रवार को एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में तकनीकी खराबी की वजह से 100 से ज्यादा उड़ानों में देरी हुई है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, गुरुवार शाम से ही तकनीकी खराबी के कारण एयर कंट्रोलर्स को फ्लाइट का शेड्यूल नहीं मिल पा रहा है।
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स मैन्युअली काम कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में गड़बड़ी आ गई है। इसमें प्लेन के शेड्यूल यानी टेकऑफ और लैंड की जानकारी देता है।
ATC के अधिकारी पहले से मौजूद डेटा के साथ मैन्युअली फ्लाइट शेड्यूल तैयार कर रहे हैं। इसके चलते कई फ्लाइट्स 50 मिनट तक देरी से उड़ीं। फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट Flightradar24.com के मुताबिक, इससे पहले गुरुवार को 513 फ्लाइट्स देरी से रवाना हो सकी थीं।
दिल्ली एयरपोर्ट समेत एयरलाइन्स की एडवाइजरी
फ्लाइट ऑपरेशन्स में देरी के कारण दिल्ली एयरपोर्ट ऑथोरिटी समेत प्रमुख एयरलाइन्स, अकासा, एअर इंडिया, स्पाइज जेट, इंडिगो ने यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि फ्लाइट ऑपरेशन में देरी हो रही है। इसलिए यात्री अपनी फ्लाइट से जुड़े अपडेट चेक करते रहें।
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दिल्ली एयरपोर्ट पर एक हफ्ते से मिल रहे फेक सिगनल
दिल्ली में पिछले एक हफ्ते से विमानों के GPS सिग्नल में फेक अलर्ट आ रहे हैं। जिसे GPS स्पूफिंग भी कहते हैं। इसके तहत पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा अलर्ट मिल रहे हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सूत्रों के अनुसार दिल्ली के करीब 100 किमी के दायरे में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। फ्लाइट रेगुलेटर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) को इसके बारे में जानकारी दे दी गई है।
स्पूफिंग एक प्रकार का साइबर अटैक है जो नेविगेशन सिस्टम को गुमराह करने के लिए फेक GPS सिग्नल भेजता है। ज्यादातर इसका इस्तेमाल वॉर जोन में किया जाता है, ताकि दुश्मनों के ड्रोन और विमानों को नष्ट किया जा सके।
पायलट ने बताया- लैंडिंग के वक्त आया फेक अलर्ट
एक एयरलाइंस के पायलट ने बताया कि पिछले हफ्ते उन्होंने 6 दिन फ्लाइट उड़ाई और हर बार GPS स्पूफिंग का सामना करना पड़ा। पायलट के मुताबिक, दिल्ली एयरपोर्ट पर एक बार फ्लाइट लैंड करने के दौरान, उसके कॉकपिट सिस्टम में अलर्ट आया कि आगे रूट पर कोई खतरा है। वास्तव में वहां ऐसा कुछ नहीं था। ऐसा ही कुछ अन्य फ्लाइट्स के साथ भी हुआ। इससे कई उड़ानों में देरी भी हुई।
सूत्रों ने बताया कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जीपीएस स्पूफिंग होना आम बात है, लेकिन दिल्ली के ऊपर ऐसी घटनाएं असामान्य हैं। दिल्ली के आसपास आर्मी एक्सरसाइज के बारे में पायलटों और ATCO को कोई सलाह भी नहीं दी गई थी, जिससे उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत हो।
दिल्ली एयरपोर्ट प्राइवेट है या सरकारी?
2 मई 2006 को दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों का प्रबंधन निजी कंसोर्टियम को सौंप दिया गया। दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (DIAL) GMR समूह (54%), फ्रापोर्ट (10%) और मलेशिया एयरपोर्ट्स (10%) का एक कंसोर्टियम है, और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास 26% हिस्सेदारी है।
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