Online Gaming : बदलती इंडस्ट्री और रियल मनी गेम्स बनाम नॉर्मल गेम्स में अंतर

By Anuj Kumar | Updated: August 22, 2025 • 11:40 AM

नई दिल्ली,। एक समय ऐसा था जबकि मोबाइल गेमिंग (Mobile Gaming) को केवल टाइम पास का साधन माना जाता था, लेकिन अब यह हज़ारों करोड़ रुपये की इंडस्ट्री बन चुकी है। खासकर रियल मनी गेम्स (RMG) यानी असली पैसे से खेले जाने वाले गेम्स ने इस सेक्टर को नया आयाम दिया है। यही कारण है कि सरकार ने इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) बिल लोकसभा में लेकर आई और पास करवा चुकी है। यहां बताते चलें कि रियल मनी गेम्स ऐसे गेम्स होते हैं, जिनमें खिलाड़ी असली पैसे लगाते हैं और जीतने पर कैश प्राइज उन्हें मिलता है।

उदाहरण के तौर पर पोकर, रमी, फैंटेसी क्रिकेट, लूडो कैश गेम्स आदि। यह किसी हद तक जुए जैसा माना जाता है क्योंकि यहां स्किल से ज्यादा किस्मत का रोल होता है। इसमें पैसे का लेन-देन यूपीआई, कार्ड या वॉलेट के ज़रिए होता है और जीतने पर कैश सीधे अकाउंट में ट्रांसफर होता है।

क्या होते हैं रियल मनी गेम्स (RMG)?

नॉर्मल गेम्स क्या हैं?

रियल मनी गेम्स और नॉर्मल गेम्स में अंतर

रियल मनी गेम्स में पैसे का निवेश, असली पैसे लगाने होते हैं। इनाम जीतने पर कैश प्राइज इससे इसमें जुआ/सट्टेबाजी का आभास होता है। खिलाड़ी का उद्देश्य भी इसमें पैसा जीतना ही होता है। इससे हटकर नॉर्मल गेम्स खेलने के लिए पैसे नहीं, सिर्फ वैकल्पिक इन-ऐप परचेज करना होता है। इसमें गेम्स जीतने पर वर्चुअल रिवार्ड्स, स्किन्स, लेवल्स होते हैं, जबकि इसमें जुआ/सट्टा जैसे तत्व नहीं होते हैं। इन गेम्स के खिलाड़ी का उद्देश्य मनोरंजन और अपने कौशल का प्रदर्शन होता है।

भारतीय बाजार और इंडस्ट्री का आकार

भारत का ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर लाखों करोड़ रुपये का हो चुका है। 400 से ज्यादा स्टार्टअप्स इस सेक्टर में सक्रिय हैं। पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में 25 हजार करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। सरकार को हर साल इस इंडस्ट्री से लगभग 20 हजार करोड़ रुपये टैक्स मिलता है। सरकार की चिंता और नया कानून सरकार का मानना है कि रियल मनी गेम्स लत और आर्थिक नुकसान का कारण बन सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 लाया गया जिसे लोकसभा में पास कर दिया गया है, इससे पहले कैबिनेट से मंजूरी मिली। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन पर सख्त बैन लगाया गया तो इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगेगा, हज़ारों नौकरियां जाएंगी और निवेशकों का विश्वास डगमगा सकता है।

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