Kedarnath : केदारनाथ तक अब सुरंग बनाने का प्लान

By Surekha Bhosle | Updated: July 23, 2025 • 12:11 PM

7 किलोमीटर लंबी सुरंग का प्रस्ताव तैयार

सरकार की बड़ी योजना

सरकार ने गौरीकुंड से केदारनाथ (Kedarnath) तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग (Tunnel) बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। यह सुरंग यात्रियों के लिए एक वैकल्पिक और तेज़ रास्ता बनेगी

11 किलोमीटर की दूरी घटेगी

वर्तमान में गौरीकुंड से केदारनाथ Kedarnath तक का 16 किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है। सुरंग बनने के बाद यह दूरी सिर्फ 5 किलोमीटर रह जाएगी, यानी यात्रा 11 किमी कम हो जाएगी।

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय केदारनाथ तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसा हुआ तो आने वाले 4-5 साल में केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हो जाएंगे।

इनमें से एक रास्ता हर मौसम में मंदिर तक सीधी पहुंच देगा। अभी गौरीकुंड से रामबाड़ा-लिंचोली होते हुए केदार धाम तक का पैदल मार्ग 16 किलोमीटर लंबा है। टनल बनने के बाद यह 5 किमी ही बचेगा।

दरअसल, 2013 और जुलाई 2024 की त्रासदी से सबक लेते हुए केंद्र ने केदारनाथ मंदिर तक के नए सुरक्षित रास्ते को बनाने की योजना पर काम शुरू किया है। इसके लिए मंत्रालय ने कंसल्टेंट के जरिए पहाड़ का प्रारंभिक सर्वेक्षण करा लिया है।

टनल उत्तराखंड में 6562 फीट ऊपर बनेगी। यह कालीमठ घाटी के आखिरी गांव चौमासी से लिंचोली तक होगी। लिंचोली केदारनाथ मंदिर से पांच किलोमीटर पहले है। चौमासी तक पक्की रोड है। यहां कार से जा सकते हैं। फिर टनल होगी और लिंचोली से मंदिर तक 5 किलोमीटर का पैदल सफर करना होगा।

अभी ऐसा है रास्ता

अभी ट्रैक 16 किलोमीटर का है। गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किलोमीटर, रामबाड़ा से लिंचोली 2 किलोमीटर और लिंचोली से केदार मंदिर 5 किलोमीटर दूर है।

भविष्य का रूट

रुद्रप्रयाग गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड से चुन्नी बैंड होते हुए कालीमठ, कोटमा और फिर चौमासी पहुंचते हैं। कुंड से चौमासी 41 किलोमीटर दूर है।
चौमासी से 7 किलोमीटर लंबी टनल लिंचोली पहुंचाएगी। फिर लिंचोली से 5 किलोमीटर दूर मंदिर।

नए रास्ते पर लैंडस्लाइड जोन नहीं, पुराने से ज्यादा सुरक्षित

राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तराखंड के चीफ इंजीनियर मुकेश परमार के मुताबिक कंसल्टेंट ने सर्वेक्षण कर टनल की ड्राइंग दी है। केंद्रीय अफसरों की टीम इसे अंतिम रूप दे रही है। कालीमठ का रास्ता गुप्तकाशी से कटता है।
पिछले साल सितंबर में पांच सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल-केदारनाथ रूट का जमीनी सर्वेक्षण किया था। तब टीम ने कहा था कि इस पूरे मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन जोन नहीं हैं। कठोर चट्टानें हैं और बुग्यालों के ऊपर व नीचे से रास्ता बनाया जा सकता है। कई जगहों पर भूमिगत पानी रिस रहा है, जिसके उपाय कर सकते हैं।

पहले रामबाड़ा से बननी थी टनल, लेकिन क्षेत्र कमजोर

केदारनाथ Kedarnath की पूर्व विधायक स्व. शैलारानी रावत ने 21 अक्टूबर 2022 को PM नरेंद्र मोदी से गौरीकुंड-रामबाड़ा-चौमासी मोटर मार्ग बनाने की मांग की थी, फिर रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने प्रस्ताव में रामबाड़ा तक सुरंग बनाने की बात रखी, पर सुरंग कहां से बनेगी, ये तय नहीं हुआ था। रामबाड़ा भूस्खलन जोन है, इसलिए यहां सड़क मुमकिन नहीं है।

सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ की

चार धामों में सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ Kedarnath की है। यहां हमेशा खतरा बना रहता है। 16-17 जून 2013 की त्रासदी के बाद भी यहां समय-समय पर रुकावटें आती रही हैं। पिछले साल 31 जुलाई को केदारनाथ रूट पर भारी बारिश के कारण यात्रा रोक दी गई थी। इसके तुरंत बाद 4 अगस्त को यहां भयानक लैंडस्लाइड हुई, इसमें 15 हजार यात्री फंस गए और 5 यात्रियों की मौत हो गई थी।

केदारनाथ में पैदल कितने घंटे चलना पड़ता है?

24 घंटे यात्रा का संचालन: 12 ज्योतिर्लिंगों में बाबा केदार की यात्रा अत्यधिक कष्टदायक है. गौरीकुंड से केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए 19 किमी की चढ़ाई पैदल मार्ग को पार करना होता है.

केदारनाथ 6 महीने तक बंद क्यों रहता है?

इस दौरान हिमालय क्षेत्र में रहना बहुत मुश्किल होता है। दरअसल, शीतकाल के समय हिमालय में जबरदस्त बर्फबारी होती है। इन कारणों से भी भैया दूज के बाद बाबा केदारनाथ के दर्शन रोक दिए जाते हैं और मंदिर के कपाट अगले 6 महीनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

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