तिरुमाला। तिरुपति मंदिर में भक्तों की बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अब मंदिर प्रशासन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद लेगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू मंदिर में अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर (ICC) का उद्घाटन करेंगे।
पहली बार मंदिर में एआई का इस्तेमाल
यह भारत में इस पैमाने के किसी मंदिर के लिए पहली पहल है। दावा किया जा रहा है कि इस व्यवस्था से भीड़ प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
वैकुंठम-1 परिसर में बना एआई सेंटर
नया आईसीसी वैकुंठम-1 परिसर में स्थापित किया गया है। यह सेंटर टीटीडी (TTD) अधिकारियों को रियल-टाइम डेटा और जानकारी उपलब्ध कराएगा। विशाल डिजिटल स्क्रीन पर मंदिर परिसर के सीसीटीवी कैमरों की लाइव फीड दिखाई जाएगी, जिसकी निगरानी 25 से अधिक तकनीकी विशेषज्ञ करेंगे।
चेहरे की पहचान और कतार पर निगरानी
एआई-संचालित कैमरे तीर्थयात्रियों की संख्या पर नज़र रखेंगे और दर्शन के लिए प्रतीक्षा समय का अनुमान लगाएंगे। इससे अधिकारियों को श्रद्धालुओं का प्रवाह नियंत्रित करने और भीड़ को मैनेज करने में आसानी होगी।
3डी मानचित्र से भीड़भाड़ पर काबू
नई प्रणाली 3डी मानचित्र तैयार करेगी, जिससे जमीनी हालात और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सकेगी। साथ ही यह चोरी या अन्य अप्रिय घटनाओं में शामिल लोगों की पहचान करने में भी मदद करेगी।
गुमशुदा लोगों का पता लगाने में मदद
एआई प्रणाली गुमशुदा व्यक्तियों को खोजने में भी सहायक होगी। अलीपिरी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाए गए अतिरिक्त कैमरे शुरुआत से ही यात्रियों की आवाजाही पर नज़र रखेंगे। इस पहल से भगवान के दर्शन के लिए लगने वाला समय घटेगा और भक्तों को अधिक सुविधा मिलेगी।
तिरुपति बालाजी की आंख ढकी हुई है क्योंकि?
तिरुपति बालाजी, भगवान् विष्णु के अवतार हैं, जो मानव जाति को कलियुग की परेशानियों से बचाने के लिए इस धरती पर आए हैं। भगवान वेंकटेश्वर की आँखों को चंदन और चांदी की ढालियों से ढंका जाता है, ताकि उनकी दिव्य ऊर्जा भक्तों पर दया दृष्टि बनाए रखे
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास क्या है?
तिरुपति का इतिहास भगवान वेंकटेश्वर और तिरुमला पर्वत से जुड़ा है, जहाँ तीसरी शताब्दी में मंदिर का निर्माण हुआ। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया, और विजयनगर साम्राज्य के समय, खासकर 15वीं शताब्दी के बाद, इसकी प्रसिद्धि बहुत बढ़ी, जब सम्राटों ने सोने और गहनों का दान किया।
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