UP: उत्तर प्रदेश के 17 जिले बाढ़ की चपेट में, ढाई लाख लोग सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट

By Ajay Kumar Shukla | Updated: August 28, 2025 • 8:38 AM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लगातार मूसलाधार बारिश के कारण प्रदेश के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बाढ़ प्रभावित जिलों (Flood-Affected Districts)के प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में तत्काल राहत और बचाव कार्य की कमान संभालने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से भी बढ़-चढ़कर इस कार्य में भाग लेने और प्रभावित लोगों की हर जरूरत का ध्यान रखने को कहा।

प्रदेश की 37 तहसीलें और 688 गांव बाढ़ से प्रभावित: भानु चंद्र गोस्वामी

राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी के अनुसार प्रदेश की 37 तहसीलें और 688 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें 2,45,980 लोग और 30,030 मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। बाढ़ से कुल 27061 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। राहत कार्य में 548 नाव और मोटरबोट्स की सहायता से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। बुधवार को 1,904 खाद्यान्न पैकेट और 11,350 लंच पैकेट वितरित किये गए

प्रभावित इलाकों में 996 बाढ़ चौकियों की स्थापना

कुल 284 बाढ़ शरणालय सक्रिय हैं, जहां 4,440 लोग अस्थायी रूप से निवास कर रहे हैं और 626 मेडिकल टीमों द्वारा उनका मेडिकल चेकअप किया जा रहा है। सरकार ने जलजनित बीमारियों को रोकने के लिए 12,298 क्लोरीन टेबलेट और 4,422 ओआरएस पैकेट वितरित किए हैं। प्रभावित इलाकों में 996 बाढ़ चौकियों की स्थापना की गई है, जो लगातार स्थिति पर निगरानी रख रही हैं।

यूपी के ये जिले हैं बाढ़ प्रभावित

बलिया, बहराइच, बदायूं, चंदौली, कानपुर नगर, हरदोई, फर्रुखाबाद, गोंडा, कासगंज, लखीमपुर खीरी, मेरठ, मीरजापुर, मुजफ्फनगर, शाहजहांपुर, उन्नाव, प्रयागराज और वाराणसी।

भारत में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य कौन सा है?

बिहार भारत का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है।

बाढ़ से प्रभावित लोग कैसे होते हैं?

  1. आवास की हानि – घर डूब जाते हैं या बह जाते हैं
  2. आजीविका पर असर – खेत, फसलें और पशुधन नष्ट हो जाते हैं
  3. भोजन और पानी की कमी – पीने का पानी दूषित हो जाता है
  4. स्वास्थ्य समस्याएँ – जलजनित बीमारियाँ फैलती हैं जैसे डायरिया, टाइफाइड
  5. सड़क और संचार टूट जाते हैं – गांव या इलाके पूरी तरह अलग-थलग हो जाते हैं
  6. मानसिक तनाव और असुरक्षा – विशेषकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर गहरा असर होता है
  7. स्कूल, अस्पताल बंद हो जाते हैं – शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हो जाती हैं

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