Latest Hindi News : भयंकर विनाश की चेतावनी : जहां नहीं रहना चाहिए वहीं रह रहा है इंसान

By Anuj Kumar | Updated: September 19, 2025 • 11:26 AM

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (Shrinagar) के भूवैज्ञानिक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने चेतावनी दी है कि अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तलहटी क्षेत्रों में भूमि धसाव और भूस्खलन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉ. बिष्ट का कहना है कि इंसान ने प्रकृति के साथ चलना छोड़ दिया है। अंधाधुंध कटान, टनल निर्माण, होटल और लॉज की बढ़ती संख्या तथा अव्यवस्थित भवन गतिविधियां पहाड़ों की मजबूती को कमजोर कर रही हैं।

संवेदनशील जोन पर बढ़ता निर्माण खतरे का संकेत

उन्होंने कहा कि इंसान वहां बस रहा है, जहां उसे नहीं रहना चाहिए। संवेदनशील इलाकों में बस्तियों और निर्माण गतिविधियों के कारण नए-नए डेंजर जोन बन रहे हैं। अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाले वर्षों में भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

केदारनाथ आपदा से सबक नहीं लिया

भूवैज्ञानिक ने 2013 की केदारनाथ आपदा का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय अलकनंदा (Alaknanda) और मंदाकिनी घाटियों में भारी तबाही हुई थी। बारिश (Heavy Rain) और भू-धसाव के बाद पहाड़ों में जमा मलबा नीचे खिसका और बड़े पैमाने पर विनाश हुआ। इसके बावजूद आज भी असुरक्षित मलबे के ऊपर सड़कें और इमारतें बनाई जा रही हैं।

प्राकृतिक संरचना की अनदेखी पड़ सकती है भारी

डॉ. बिष्ट ने कहा कि चाहे कितने भी करोड़ रुपये खर्च कर दिए जाएं, लेकिन अगर पहाड़ों की प्राकृतिक संरचना की अनदेखी की गई, तो मलबा और ढलान एक दिन खिसककर और बड़े हादसों का कारण बनेगा।

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग भी जिम्मेदार

उन्होंने बताया कि स्थानीय कारणों के साथ-साथ वैश्विक कारण भी इन आपदाओं के पीछे हैं। जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ध्रुवीय क्षेत्रों में बदलाव और प्लेट टेक्टोनिक गतिविधियां हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को और बढ़ा रही हैं।

Read More :

# Heavy Rain news #Alaknanda news #Breaking News in Hindi #Hindi News #Kedarnath news #Latest news #Shrinagar news #Tectonic News