National : कौन हैं राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाले सदानंदन मास्टर

By Surekha Bhosle | Updated: July 13, 2025 • 3:37 PM

राज्यसभा में मनोनीत हुए सदस्य सदानंदन (sadanandan) मास्टर को यहां तक पहुंचने से पहले कई तरह की कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ा. 25 जनवरी 1994 का वह काला दिन शायद ही सदानंद sadanandan मास्टर कभी भूल पाएंगे. उस दिन उनके ऊपर अचानक हुए हमले में उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए. सदानंदन ने अपनी शारीरिक विकलांगता को कभी अपनी सोच पर हावी नहीं होने दिया. उन्होंने धमकियां मिलने के बावजूद भी लोगों के हित के लिए सामाजिक और राजनीतिक कार्य करना जारी रखा

मात्र 30 साल की उम्र में सदानंदन sadanandan को अपने पैर गंवाने पड़े. जिसके बाद उन्होंने 25 वर्षों तक त्रिशूर जिले के एक माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक (Teacher) के रूप में सेवा दी. 2021 में उन्होंने बीजेपी की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ा. सदानंदन आरएसएस की विचारधारा से अत्यधिक प्रभावित थे इसलिए वह बहुत कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए।

शादी का न्योता देकर घर लौट रहे थे सदानंदन

25 जनवरी 1994 का दिन था. सदानंदन अपनी बहन की शादी का न्योता देकर घर वापस आ रहे थे. वह जैसे ही कार से उतरकर अपने घर की तरफ चले, सीपीएम कार्यकर्ताओं के एक गिरोह ने उन पर अचानक हमला कर दिया. घर के अंदर जश्न का माहौल चल रहा था, क्योंकि 6 फरवरी को सदानंद की बहन की सगाई थी. हमलावरों ने पहले तो सदानंदन sadanandan को घसीटा और फिर उनके दोनों पैर काट दिए. इतना करने पर भी जब उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने उनके पैरों को सड़क पर रगड़ा ताकि वह अपने पैरों की सर्जरी न करवा सकें. इस हमले के दौरान सदानंदन की उम्र मात्र 30 वर्ष की थी।

जिस पार्टी से जुड़ा था परिवार, उसी के नेताओं ने काटे पैर

सदानंदन मास्टर के परिवार के अधिकतर लोग कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे. सीपीएम के कुछ नेताओं से विवाद के होने की वजह से उन्होंने आरएसएस की विचारधारा को अपना लिया. जिसके बाद उन्होंने केरल के मट्टानूर में, जो सीपीएम का गढ़ माना जाता था, वहां आरएसएस के कार्यालय की स्थापना की. जिसके बाद सीपीएम के नेता भड़क गए और उन्होंने सदानंद पर 25 जनवरी 1994 में यह घातक हमला कर दिया।

25 साल तक शिक्षक के रुप में दी सेवा

सदानंदन मास्टर ने इतनी कम उम्र में पैरों को गंवाने के बावजूद अपने संघर्षों से कभी हार नहीं मानी. उन्होंने कृत्रिम पैर लगवाकर अपने जीवन को फिर से एक नई जिंदगी दी. 1999 में उन्होंने त्रिशूर जिले के पैरामंगलम में स्थित एक माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की. जहां उन्होंने 25 साल तक सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में सेवा दी. 2020 में वह शिक्षक के कार्य से रिटायर हो गए।

शिक्षक के पद से रिटायर होने के बाद सदानंदन राजनीति में और अधिक सक्रिय रहने लगे थे. बीजेपी ने उन्हें 2021 में विधानसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया था. इससे पहले उन्होंने 2016 में भी बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था।

राजनीतिक विरोधियों से सहने पड़े काफी अत्याचार

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद सी. सदानंदन मास्टर ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि पार्टी ने मुझ पर भरोसा दिखाया और इस काबिल समझा. उन्होंने कहा कि केरल की राजनीति के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. सदानंदन ने कहा कि पार्टी का विकसित केरल और विकसित भारत का नारा बुलंद करने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे. इसके आगे उन्होंने कहा कि केरल में राजनीतिक विरोधियों ने हमारे साथ काफी अत्याचार किए है. इन लोगों ने केरल की दुर्गति कर दी है. उन्होंने कहा कि कन्नूर जिले के पार्टी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए अपना जीवन तक समर्पित कर दिया है। मेरा कर्तव्य है कि मैं उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाऊं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सदानंदन को दी बधाई

प्रधानमंत्री मोदी ने सदानंदन मास्टर की सराहना करते हुए कहा कि उनका जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की भावना का प्रतीक है. मोदी ने कहा कि हिंसा और धमकी राष्ट्र के विकास के प्रति उनके जज्बे को रोक नहीं सकी. एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं. मोदी ने कहा कि युवा सशक्तीकरण के प्रति उनकी गहरी आस्था है. पीएम ने सदानंदन को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने पर उन्हें शुभकामनाएं दी।

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