नेपाल में राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। Gen-Z आंदोलन के दबाव में केपी शर्मा ओली की सरकार गिर चुकी है और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अंतरिम प्रधानमंत्री कौन बनेगा। इस बीच गुरुवार आधी रात को हुई एक गुप्त बैठक के बाद अचानक बाज़ी पलट गई और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Sushika karki) एक बार फिर सबसे मजबूत दावेदार बनकर सामने आई हैं।
आधी रात की गुप्त बैठक
यह बैठक काठमांडू स्थित राष्ट्रपति भवन, शीतल निवास में हुई। इसमें राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, आर्मी चीफ अशोक राज सिग्देल, संसद अध्यक्ष नारायण दहल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश सिंह राउत, और कई वरिष्ठ नेता व संवैधानिक विशेषज्ञ मौजूद थे। घंटों चली चर्चा में यह तय हुआ कि मौजूदा संकट से निकालने के लिए एक निष्पक्ष और भरोसेमंद चेहरा ही नेतृत्व संभाले। अंततः सबकी सहमति सुशीला कार्की के नाम पर बन गई।
क्यों चुनी जा रही हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं और उनकी पहचान एक सख्त और ईमानदार जज के तौर पर रही है। यही कारण है कि Gen-Z आंदोलनकारियों की भी पहली पसंद वही हैं। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) ने भी कार्की को समर्थन दिया है। खास बात यह है कि खुद शाह के पास भी अंतरिम पीएम बनने का प्रस्ताव था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़कर जनता के समर्थन से पीएम बनने की इच्छा जताते हुए यह मौका कार्की को सौंप दिया।
संविधान और प्रक्रिया
नेपाल के 2015 के संविधान में सीधे-सीधे “अंतरिम प्रधानमंत्री” का प्रावधान नहीं है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति पौडेल एक विशेष अध्यादेश लाकर कार्की का नाम संसद के उच्च सदन में पेश कर सकते हैं। उसके बाद उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
पहले हां, फिर ना और फिर से हां
गुरुवार दिन में खबर आई थी कि सुशीला कार्की ने पीएम की रेस से नाम वापस ले लिया है। इसके बाद Gen-Z ने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोकप्रिय नाम कुलमान घिसिंग का सुझाव दिया, लेकिन उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई। बताया जा रहा है कि आर्मी चीफ और अन्य नेताओं ने करीब 15 घंटे तक मनाकर कार्की को फिर से तैयार किया।
आगे क्या?
आज यानी शुक्रवार को सुशीला कार्की के नाम की औपचारिक घोषणा हो सकती है। माना जा रहा है कि उनकी अंतरिम सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी अगले 6 महीनों में आम चुनाव कराना होगी।
नेपाल की सियासत में हर दिन नए मोड़ आ रहे हैं, लेकिन अब तस्वीर साफ होती दिख रही है। अगर सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह नेपाल की राजनीति में न सिर्फ एक बड़ा यू-टर्न होगा बल्कि महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का भी नया अध्याय होगा।
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