New Delhi : स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक में नदी संरक्षण के लिए नमामि गंगे को दुनिया ने सराहा

By Ajay Kumar Shukla | Updated: August 28, 2025 • 8:26 AM

नई दिल्ली : स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक (World Water Week) में नदी संरक्षण के लिए नमामि गंगे (Namami Gange) को दुनिया ने सराहा है। नदियाँ और जल संसाधन सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इनका पुनर्जीवन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। नदी पुनर्जीवन और जल संरक्षण में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की अग्रणी पहलों ने इसे वैश्विक जल संवाद में एक प्रमुख आवाज बना दिया है।

उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र रहा है

इस वर्ष स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक में इसकी भागीदारी भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर करती है, जो जल संबंधी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अहम योगदान दे रही है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल वॉटर इंस्टीट्यूट (SIWI) द्वारा वर्ष 1991 से आयोजित यह प्रतिष्ठित आयोजन अब वैश्विक नीति निर्धारकों, वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए सबसे प्रभावशाली मंच बन चुका है। गंगा के विस्तृत प्रवाह वाले प्रदेश के रूप में उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र रहा है। वाराणसी में रिवरफ्रंट विकास, कानपुर में सीवेज शोधन संयंत्रों की स्थापना तथा छोटे एवं मझौले नगरों में सामुदायिक भागीदारी आधारित पहलें इस अभियान को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही हैं

नदी-केंद्रित विकास ही शहरों को टिकाऊ और सुरक्षित बना सकता है

इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का केंद्र बिंदु बना “नदी शहरों की पुनर्कल्पना: जलवायु-संवेदी और बेसिन-केंद्रित शहरी विकास”, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (NIUA) और जर्मन विकास सहयोग (GIZ) ने मिलकर नेतृत्व किया। इस सत्र में विशेषज्ञों ने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की चुनौतियों के बीच, नदी-केंद्रित विकास ही शहरों को टिकाऊ और सुरक्षित बना सकता है।

नमामि गंगे मिशन ने भारत में नदियों के पुनरुद्धार के लिए एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की नींव रखी : मित्तल

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नमामि गंगे मिशन ने भारत में नदियों के पुनरुद्धार के लिए एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की नींव रखी है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के तहत अब तक 40 हजार करोड़ रुपये का भारी निवेश किया जा चुका है, जो गंगा और उसकी सहायक नदियों को उनके प्राचीन रूप में पुनः स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन एक जीवित उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि जब आधुनिक तकनीक और नवाचार का संगम होता है, तो नदियों को पुनः जीवनदायिनी बनाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

उपभोक्ता को नदी-बेसिनों के सक्रिय संरक्षक के रूप में कार्य करना होगा : विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है जब शहरों को केवल उपभोक्ता के रूप में नहीं, बल्कि नदी-बेसिनों के सक्रिय संरक्षक के रूप में कार्य करना होगा। जलवायु परिवर्तन के दौर में नदियों का संरक्षण अनिवार्य बन चुका है और इसके लिए नदी-केंद्रित शहरी विकास को अपनाना होगा। सत्र के समापन में यह महत्वपूर्ण संदेश सामने आया – जब शहर मिलकर काम करेंगे और सीमा पार सोचेंगे, तो नदियों को बचाया जा सकता है और उन्हें समृद्ध भी किया जा सकता है।

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

नमामि गंगे भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे 2014 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य है:

नमामि गंगे मिशन 2.0 क्या है?

नमामि गंगे मिशन 2.0 को 2021-2026 की अवधि के लिए लॉन्च किया गया है। इसमें पहले चरण की तुलना में:

नमामि गंगे का अध्यक्ष कौन है ?

नमामि गंगे कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं।

Read also:

#GangaRejuvenation #Hindi News Paper #NamamiGange #RiverConservation #WaterSustainability #WorldWaterWeek breakingnews latestnews