उच्च आय वर्ग की प्राथमिकता बनते जा रहे हैं करोड़ों के घर
भारत में इस साल एक करोड़ रुपये और उससे ज्यादा के घरों की मांग बढ़ी हुई है, जिस कारण देश में कुल घरों की बिक्री का आंकड़ा 65 हजार से ज्यादा हो गया है।
जनवरी-मार्च में घरों की बिक्री में मामूली गिरावट
जेएलएल की रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी-मार्च अवधि में घरों की बिक्री में मामूली गिरावट दर्ज की गई है और कुल 65,246 यूनिट्स की बिक्री हुई है. इस गिरावट के सीमित होने की वजह 3-5 करोड़ रुपये और 1.5-3 करोड़ रुपये के घरों की मांग में बढ़ोतरी होना है।
रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादा कीमत वाले घरों की मांग में लगातार वृद्धि से घर खरीदने वालों के बीच बढ़ती समृद्धि, बदलती जीवनशैली प्राथमिकताओं और बड़ी और प्रीमियम एसेट्स को प्राथमिकता देने का संकेत मिलता है।
इन शहरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 66 फीसदी
रिपोर्ट के मुताबिक, देश की शीर्ष सात शहरों में घरों की बिक्री में बेंगलुरु, मुंबई और पुणे का वर्चस्व रहा है और इन शहरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 66 फीसदी की रही है. इन शहरों में बढ़ती बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के कारण रोजगार अवसर पैदा हो रहे हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निरंतर सुधार हो रहा है।
जिससे ये शहर रहने और काम करने के लिए ज्यादा आकर्षक स्थान बन रहे हैं. बड़ी बात यह है कि पिछली कुछ तिमाहियों में तिमाही बिक्री मात्रा का एक बड़ा हिस्सा उसी तिमाही के दौरान शुरू की गई प्रोजेक्ट्स से आया है।
जेएलएल के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान और आरईआईएस, भारत के प्रमुख डॉ. सामंतक दास ने कहा, “रेजिडेंशियल रियल एस्टेट बाजार में खरीदारों की प्राथमिकताओं में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।