हैदराबाद : बीआरएस एमएलसी (BRS MLC) दासोजू श्रवण ने स्थानीय निवासियों की गंभीर कठिनाइयों का हवाला देते हुए जुबली हिल्स निर्वाचन क्षेत्र के बोराबंडा में एक मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए 2 एकड़ 16 गुंटा सरकारी भूमि (Government land) तत्काल आवंटित करने की मांग की।
एमएलसी ने हैदराबाद के अतिरिक्त कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा
मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ, श्रवण ने हैदराबाद के अतिरिक्त कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कब्रिस्तान केवल एक धार्मिक अधिकार नहीं, बल्कि एक बुनियादी मानवाधिकार है। उन्होंने कब्रिस्तान की मांग कर रहे स्थानीय लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों की निंदा की और सरकार से उन्हें वापस लेने का आग्रह किया।
बीआरएस नेता ने याद दिलाया कि केसीआर के कार्यकाल के दौरान, तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम कब्रिस्तानों के लिए 125 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी, और वर्तमान कांग्रेस सरकार पर ‘लापरवाही’ बरतने का आरोप लगाया।
उपचुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बोराबंडा भूमि आवंटित हो
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जुबली हिल्स उपचुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बोराबंडा भूमि आवंटित की जानी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में बीआरएस अल्पसंख्यक अध्यक्ष मुजीबुद्दीन और बोराबंडा के कई मुस्लिम नेता मौजूद थे।
मुस्लिम कब्रिस्तान कैसे होते हैं?
मुस्लिम कब्रिस्तान (Graveyard / Qabristan) एक शांत और पवित्र स्थान होता है जहाँ मुसलमानों को इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ:
- कब्रें सामान्यतः उत्तर-दक्षिण दिशा में होती हैं, लेकिन शव को क़िबला (मक्का) की दिशा में इस तरह रखा जाता है कि चेहरा पश्चिम की ओर हो (भारत में)।
- हर कब्र पर एक सरल पत्थर या निशान लगाया जाता है, जिस पर नाम, जन्म/मृत्यु की तारीख आदि अंकित हो सकते हैं।
- सजावट या महंगी समाधियाँ आम तौर पर इस्लाम में नापसंद की जाती हैं, क्योंकि इस्लाम सादगी को प्राथमिकता देता है।
- कब्रिस्तान को स्वच्छ, खुला और सम्मानजनक रखा जाता है।
- कुछ कब्रिस्तानों में पुरुष और महिलाओं की कब्रों के लिए अलग-अलग सेक्शन भी हो सकते हैं।
विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान कहाँ है?
वादी अल-सलाम (Wadi Al-Salaam) – नजफ, इराक
- अर्थ: “शांति की घाटी”
- क्षेत्र: लगभग 1,485.5 एकड़ (6 वर्ग किलोमीटर)
- इसमें 50 लाख से अधिक शव दफनाए गए हैं।
- यह स्थल शिया मुसलमानों के लिए पवित्र माना जाता है।
- पास ही में इमाम अली का मकबरा है, जो शिया मुसलमानों के पहले इमाम माने जाते हैं।
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