बिहार : अररिया जिले (Araria district) के फारबिसगंज ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने गौमतदाता (Gaumatdata Sabha) सभा को सम्बोधित करते कहा कि सदा रहने वाला ही सनातन धर्म है जो भूत, वर्तमान और भविष्य में भी रहने वाला है और जिसने सनातन परमात्मा से अपने आपको जोड लिया वही सनातनधर्मी है और यही आपका परिचय है।
हिंसा से दुखी होने वाला ही हिन्दू : शंकाराचार्य
उन्होंने कहा कि हिन्दू वो जो हिंसा से दुखी हो जाता है,जीवन धारण करने के लिए कुछ अनिवार्य हिंसा हमें करनी ही पडती है,उसके प्रायश्चित के लिए हर गृहस्थ रोज क्रमशः देवयज्ञ,नृयज्ञ,भूतयज्ञ,ब्रह्मयज्ञ और बलि वैश्वदेव पंचमहायज्ञ करके अनिवार्य हिंसा की प्रायश्चित करता है।इसका मतलब हम हिन्दू रोज प्रायश्चित करते हैं और साथ ही हम गौरक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं,हमारे पूर्वजों ने ये निर्धारित कर रखा है कि हमें किसी भी हालत में गौ हत्या नही करना है।
गाय को बचाने के लिए पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी
जगदगुरु शंकराचार्य ने कहा कि वेदों में गाय को अवध्या कहा गया है,पुराणों में अनेकानेक आख्यान है जिसमें बताया गया कि गाय को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहुति भी दे डाला था, पर आज डालर कमाने के लिए हम अपनी गाय को काट कर बेच दिया है, हम को आज खडे होकर गाय को हर कीमत पर बचाना ही होगा। देश की आजादी के समय से हम सब नेताओं को वोट व अपना समर्थन देकर गौहत्या के पाप के भागीदार बन रहे हैं।
राजनिति से हमारा कोई सम्बन्ध नही: शंकराचार्य
शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि आपके माथे गौहत्या का पाप चढा है इसलिए आप दुखी हो,गुरु होने के नाते हमारा ये कर्तव्य है कि हम अपनी सनातनी प्रजा के माथे पर से गौहत्या के कलंक उतार दें। आप अपने असली ताकत को पहचानिए और गौहत्या कराने वाले दलों व नेताओं को वोट देना बन्द करिए। राजनिति से हमारा कोई सम्बन्ध नही,लेकिन यदि हम आपको सतर्क ना करें तो गाय नही बचेगी।और अगर गाय न बची तो ये संसार भी नही बचेगा।
शंकराचार्य ने किया रोटी बैंक का उद्घाटन किया
फारबिसगंज युवा मारवाड़ी मंच द्वारा आज से संचालित हो रहे रोटी बैंक का शंकराचार्य जी महाराज ने उद्घाटन किया। रोटी बैंक की गाड़ी रोज तीन घण्टे निर्धारित समय से हिंदुओं के घर के आमने गाड़ी खड़ी रोटी एकत्र करेगी। जिस रोटी को गौमाता को समर्पित किया जाएगा।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य कौन हैं?
ज्योतिर्मठ (Jyotirmath) जिसे उत्तर पीठ (Northern Monastic Seat) भी कहा जाता है, वह चार प्रमुख शंकराचार्य पीठों में से एक है, जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। वर्तमान में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज है।
उत्तर पीठ ज्योतिष के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कौन हैं?
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी वर्तमान में उत्तर पीठ (ज्योतिर्मठ, बद्रीनाथ) के जगद्गुरु शंकराचार्य हैं।
वे वैदिक धर्म, गौ-रक्षा, सनातन संस्कृति और राष्ट्रधर्म से जुड़े अनेक आंदोलनों व विचारों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
क्या जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर हैं?
जगद्गुरु शंकराचार्य श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ही ज्योतिष्पीठाधीश्वर हैं, यानी ज्योतिर्मठ के अधिपति (गद्दीनशीन प्रमुख)। “पीठाधीश्वर” का अर्थ होता है उस मठ/संस्थान के आध्यात्मिक प्रमुख या धर्मगुरु।
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