बिहार के विभिन्न जिलों में दर्जनों अराजकीय संस्कृत पाठशाला संचालित हैं, जहां कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतन नियोजित शिक्षकों के समान दिया जाता है. इसके लिए बिहार सरकार सहायक अनुदान मद से फंड उपलब्ध कराती है.
पटना. बिहार सरकार ने संस्कृत पाठशालाओं के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन के लिए 219 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. यह राशि अराजकीय संस्कृत पाठशालाओं में कार्यरत शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ को वेतन मद में सहायक अनुदान के रूप में स्वीकृत की गई है. सरकार ने इसमें से 72 करोड़ 49 लाख 77 हजार रुपये तुरंत जारी भी कर दिए हैं.
सीधा शिक्षकों के खाते में जायेगा पैसा
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मंगलवार को इस निर्णय की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जारी की गई राशि सीधे संबंधित शिक्षकों और कर्मचारियों के बैंक खातों में भेजी जाएगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सैलरी का भुगतान केवल विधिवत स्वीकृत पदों पर कार्यरत कर्मियों को ही मिले. डिप्टी सीएम ने कहा कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे भुगतान प्रक्रिया, लेखा-जोखा और उपयोगिता प्रमाण पत्र में पारदर्शिता रखें और निर्धारित समय सीमा में कार्य पूरा करें.
संस्कृत शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि बिहार सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और समयबद्ध संसाधन प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. इसका उद्देश्य है कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को और अधिक सशक्त बनाया जा सके. मालूम हो कि बिहार में प्राच्य सनातन प्रणाली से शिक्षा के लिए पाठशाला, इस्लामिक प्रणाली से शिक्षा के लिए मदरसा और ईसाई प्रणाली से शिक्षा के लिए स्कूलों की स्थापना की गयी है.
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