चीनी और तेल में कुल कैलोरी को प्रदर्शित करने की नई पहल
हैदराबाद। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) द्वारा अन्य राष्ट्रीय शोध संस्थानों के सहयोग से तैयार किए गए ‘तेल और चीनी बोर्ड (oil and sugar boards)’ के माध्यम से विभिन्न खाद्य और अन्य उपभोग्य वस्तुओं में चीनी और तेल में कुल कैलोरी को प्रदर्शित करने की नई पहल, सरकारी कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और यहां तक कि केंद्रीय और राज्य द्वारा संचालित सरकारी अस्पतालों में एक मानक सुविधा बनने के लिए तैयार है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशों के बाद, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एनआईएन और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के माध्यम से ‘तेल और चीनी बोर्ड’ और यहां तक कि आदर्श दैनिक आहार सिफारिशें भी जारी की हैं, जिन्हें रणनीतिक स्थानों पर लगाया जाएगा।
दैनिक आधार पर आम जनता के लिए बना दिया जाए दृश्यमान
व्यवहार में परिवर्तन की नवोन्मेषी रणनीति, जिसमें ‘समोसा’, ‘पिज्जा’, ‘कचौरी’ या यहां तक कि शीतल पेय और फ्राइज़ में कैलोरी, चीनी और तेल की मात्रा को यदि दैनिक आधार पर आम जनता के लिए दृश्यमान बना दिया जाए, तो यह स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने और अनावश्यक कैलोरी से बचने में काफी मददगार साबित होगा। ज़ोर ऐसे आकर्षक दृश्य प्रदर्शन बनाने पर है जो आम तौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों, खासकर जंक फ़ूड, प्रोसेस्ड स्नैक्स और मीठे पेय पदार्थों में चीनी और तेल की मात्रा को दर्शाएँ। इन साइनबोर्डों पर स्वास्थ्यवर्धक सुझाव और बेहतर आहार विकल्प भी दिए जाएँगे, जो सभी एनआईएन द्वारा तैयार किए गए हैं।
जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने की व्यापक पहल
ये प्रयास जन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और लोगों के खानपान के बारे में जागरूकता बढ़ाकर जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने की व्यापक पहल का हिस्सा हैं। तेल और चीनी में मौजूद कैलोरी पर ज़ोर देना सीधे तौर पर अधिक वज़न और मोटापे के समाधान के रूप में देखा जा रहा है, जो हृदय संबंधी बीमारियों, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और दीर्घकालिक मधुमेह व गुर्दे की बीमारियों जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के प्रमुख कारण बन गए हैं। वास्तव में, अपनी हालिया नीति ब्रीफिंग में, आईसीएमआर-एनआईएन ने कई अन्य शोध संगठनों के साथ मिलकर सभी स्तरों पर मोटापे के प्रमुख कारणों को लक्षित करते हुए एक व्यापक सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति की सिफारिश की है, जो भारतीयों में अधिक वजन और मोटापे की रोकथाम में काफी मददगार साबित होगी।
क्या चीनी खाने से शुगर होता है?
सीधे तौर पर केवल चीनी खाने से शुगर (डायबिटीज) नहीं होती, लेकिन अधिक मात्रा में चीनी, मिठाई, और प्रोसेस्ड फूड लेने से मोटापा बढ़ता है, जो टाइप 2 डायबिटीज़ का मुख्य कारण बन सकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से इस जोखिम को कम किया जा सकता है।
शुगर का दूसरा नाम क्या है?
Sugar का दूसरा नाम मधुमेह है, जिसे अंग्रेज़ी में Diabetes कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में रक्त शर्करा (Blood Sugar) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। खासकर, “शुगर” शब्द आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए बोला जाता है।
शुगर फ्री चीनी आती है क्या?
हाँ, शुगर फ्री चीनी बाजार में उपलब्ध है। इसे आमतौर पर कृत्रिम या प्राकृतिक मिठास (Sweeteners) कहा जाता है, जो स्वाद में चीनी जैसी होती है लेकिन उसमें कैलोरी या ग्लूकोज़ नहीं होता। प्रमुख शुगर फ्री विकल्प हैं:
- स्टीविया (Stevia) – प्राकृतिक पौधों से बनी
- एस्पार्टेम (Aspartame)
- सुक्रालोज़ (Sucralose)
- सैकेरिन (Saccharin)
इन्हें मधुमेह (डायबिटीज़) मरीज भी सीमित मात्रा में उपयोग कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है।
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