भारत पर बढ़ सकता है सीधा दबाव
नई दिल्ली: यूक्रेनी ड्रोन हमलों ने रूस(Russia) की ऊर्जा संरचना को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इसके चलते रूस को तेल(Oil) उत्पादन घटाने की चेतावनी देनी पड़ी है। भारत(India) रूस से रियायती दामों पर कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। ऐसे में उत्पादन में कमी से भारत पर बड़ा आर्थिक असर पड़ सकता है। अमेरिका पहले से ही भारत समेत कई देशों पर रूसी तेल न खरीदने का दबाव बनाए हुए है।
ड्रोन हमलों से बढ़ा संकट
यूक्रेन लगातार रूस के तेल(Oil) और गैस ठिकानों पर हमले कर रहा है। इससे रूस की रिफाइनिंग क्षमता करीब 20% तक प्रभावित हुई है। रिपोर्टों के अनुसार, अब तक 10 रिफाइनरियों पर ड्रोन हमले हुए हैं। इसके अलावा, बाल्टिक सागर के उस्त-लुगा और प्रिमोर्स्क बंदरगाह भी निशाने पर आए हैं। इन हमलों से रूस की सप्लाई चेन अस्थिर हो गई है।
रूस की सरकारी पाइपलाइन कंपनी ट्रांसनेफ्ट ने उत्पादकों को चेतावनी दी है कि अगर बुनियादी ढांचे पर और हमले हुए तो वह कम मात्रा में तेल स्वीकार करेगी। ट्रांसनेफ्ट रूस के 80% से अधिक तेल प्रवाह का प्रबंधन करती है। यही कारण है कि उत्पादन में गिरावट से अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर सीधा असर देखने को मिलेगा।
वैश्विक तेल बाजार पर असर
रूस का वैश्विक तेल उत्पादन में लगभग 9% योगदान है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने अपना निर्यात एशिया की ओर मोड़ा था। भारत और चीन इसके सबसे बड़े खरीदार हैं। लेकिन मौजूदा स्थिति में रूस को मजबूरन कटौती करनी पड़ सकती है।
पिछले हफ्ते यूक्रेनी ड्रोन ने रूस के सबसे बड़े तेल बंदरगाह प्रिमोर्स्क को क्षति पहुंचाई, जहां से रोजाना 10 लाख बैरल से ज्यादा तेल निर्यात होता है। इससे रूस की आपूर्ति प्रणाली हिल गई है। अमेरिकी बैंक जेपी मॉर्गन का कहना है कि रूस की सीमित भंडारण क्षमता उसके लिए अतिरिक्त चुनौती बन सकती है।
भारत के लिए बढ़ सकती है मुश्किल
भारत रूस से सबसे अधिक तेल आयात करता है। कटौती होने पर भारत को वैकल्पिक स्रोतों से तेल खरीदना पड़ेगा। इससे तेल महंगा हो सकता है और घरेलू बाजार पर दबाव बढ़ेगा।
अगर तेल की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ती हैं तो भारत में पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इसका असर आम उपभोक्ताओं से लेकर उद्योगों तक पर दिखाई देगा।
रूस के तेल उत्पादन घटने से भारत पर क्या असर होगा?
भारत को रियायती तेल(Oil) कम मात्रा में मिलेगा। इससे सरकार को दूसरे देशों से महंगा तेल आयात करना होगा। परिणामस्वरूप ईंधन की कीमतों और महंगाई में बढ़ोतरी संभव है।
क्या रूस लंबे समय तक उत्पादन घटा सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की भंडारण क्षमता सीमित है। अगर हमले जारी रहते हैं तो उसे उत्पादन में कटौती बनाए रखनी पड़ सकती है, जिससे वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी।
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