बीजिंग। वन चाइल्ड पॉलिसी (One Child Policy) ने चीन को आर्थिक रूप से तेजी से विकसित जरूर किया, लेकिन जनसंख्या के मामले में वह बूढ़ा देश बना गया है। अब हालात इतने गंभीर हैं कि चीन सरकार (China Government) 1.30 लाख यानी 10,000 युआन तक की सब्सिडी देकर लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए कह रही है। हाल ही में घोषित एक नई योजना के तहत सरकार अब हर तीन साल से छोटे बच्चों के माता-पिता को हर साल 3,600 युआन यानी करीब 41 हजार की सब्सिडी देगी।
यह योजना 1 जनवरी 2025 से लागू होगी
यह योजना 1 जनवरी 2025 से लागू होगी, लेकिन जिनके बच्चे 2022 से 2024 के बीच पैदा हुए हैं, उन्हें भी इसका आंशिक लाभ मिलेगा। यह सब्सिडी टैक्स फ्री होगी और इसे गरीबी सहायता पात्रता में भी नहीं गिना जाएगा। सरकार के मुताबिक इससे करीब 2 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा। मीडिया रिपोर्ट (Media Report) के मुताबिक इस योजना से पहले देश के 20 से ज्यादा प्रांतों में ऐसे प्रयोग शुरू हो चुके हैं। मंगोलिया की राजधानी होह्होत में तो माता-पिता को सालाना 1.30 लाख तक की सहायता दी जा रही है। यह रकम तीसरे बच्चे के 10 साल के होने तक मिलती है। साथ ही माताओं को रोज फ्री दूध और डेयरी उत्पादों के लिए तीन हजार युआन के ई-वाउचर भी दिए जा रहे हैं।
2024 में सिर्फ 6.1 मिलियन शादियां हुईं थीं
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट सिर्फ पैसों से नहीं सुलझेगा। एक यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर के मुताबिक जब तक सस्ती चाइल्ड केयर, पेरेंटल लीव और महिलाओं को नौकरी में सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक लोग बच्चा पैदा करने से बचते रहेंगे। शादी और जन्म दर दोनों तेजी से गिर रही है। 2024 में सिर्फ 6.1 मिलियन शादियां हुईं थीं, जबकि 2023 में यह संख्या 7.7 मिलियन थी।
जनसंख्या में गिरावट तीसरे साल भी जारी है
जनसंख्या में गिरावट तीसरे साल भी जारी है। 2023 में चीन की आबादी 2.08 मिलियन घटी थी, जबकि 2024 में यह गिरावट 1.39 मिलियन रही। ये आंकड़े बताते हैं कि चीन अब 60 सालों में पहली बार आबादी के संकुचन का सामना कर रहा है। अब सरकार समाज को ‘फर्टिलिटी फ्रेंडली’ बनाने की कोशिश कर रही है। सिचुआन प्रांत ने शादी की छुट्टियां 5 से बढ़ाकर 25 दिन करने और मैटरनिटी लीव 60 से बढ़ाकर 150 दिन करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन जब तक सामाजिक सोच और आर्थिक दबाव नहीं बदले जाएंगे, तब तक जन्मदर में उछाल आना मुश्किल है।
चीन का पुराना नाम क्या था?
चीन का एक पुराना नाम “सिना”, “सिनो”, “सिने”, “कैथे” या “सेरेस” था। ऐतिहासिक रूप से, चीन को पश्चिमी देशों द्वारा “सेरेस” के रूप में भी जाना जाता था. आजकल, चीन का सबसे प्रचलित और आम नाम “झोंगगुओ” है, जिसका अर्थ है “केंद्रीय राष्ट्र” या “मध्य साम्राज्य
चीन किसका गुलाम था?
चीन कभी भी पूरी तरह से किसी एक देश का गुलाम नहीं रहा है, लेकिन 19वीं और 20वीं शताब्दी में इसे “अर्ध-उपनिवेश” के रूप में देखा जा सकता है, खासकर ब्रिटेन और जापान के साथ. 1840 में, ब्रिटेन ने चीन को अफीम युद्धों के बाद अर्ध-उपनिवेश बना दिया था.
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