हैदराबाद। हाल ही में हुए भारत-पाक संघर्ष (Indo-Pak Conflict) में स्वदेशी रूप से विकसित हथियार (Weapon) प्रणालियों ने महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाई। ऑपरेशन सिंदूर, अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए बर्बर आतंकवादी हमले का मई 2025 में उचित सैन्य प्रत्युत्तर था। हैदराबाद स्थित मिसाइल परिसर से विकसित आकाश एयर-डिफेंस, ब्रह्मोस, एमआरएसएएम, यूएलपीजीएम जैसी स्वदेशी उच्च तकनीक वाली मिसाइल प्रणालियों ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन सिंदूर में भारत की मिसाइल प्रणाली और स्वदेशीकरण नीतियों की निस्संदेह पुष्टि हुई।
ऑपरेशन सिंदूर में प्रयुक्त हथियार प्रणालियों पर एक दिवसीय कार्यशाला
ऑपरेशन सिंदूर में प्रयुक्त हथियार प्रणालियों पर एक दिवसीय कार्यशाला शनिवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), हैदराबाद में आयोजित की गई।कार्यशाला की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर में प्रयुक्त विभिन्न हथियारों की उप-प्रणालियों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुई और इन स्वदेशी प्रणालियों के प्रदर्शन, इन प्रणालियों की क्षमताओं को और बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर विचार-विमर्श किया गया ताकि ये भविष्य में भी अपराजेय और श्रेष्ठ बनी रहें।
राष्ट्रहित में शत-प्रतिशत स्वदेशीकरण की आवश्यकता पर जोर
डीआरडीएल के विशिष्ट वैज्ञानिक और निदेशक डॉ. जी ए श्रीनिवास मूर्ति ने अपने स्वागत भाषण में इस कार्यशाला के समग्र उद्देश्य को रेखांकित किया। डीआरडीएल के पूर्व निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) वी जे सुंदरम ने राष्ट्रहित में शत-प्रतिशत स्वदेशीकरण की आवश्यकता और साइबोर्ग जैसे उन्नत उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में नवीन विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की दूरदर्शिता पर बल दिया। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ए शिवथानु पिल्लई ने अपने संदेश में भारतीय सशस्त्र बलों और डीआरडीओ एवं भारतीय उद्योगों के सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना की।
किसी भी चुनौतीपूर्ण मिसाइल परियोजना को पूरा करने में सक्षम
आकाश हथियार प्रणाली के पूर्व परियोजना निदेशक डॉ. प्रहलाद ने डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के आईजीएमडीपी काल से लेकर आज तक डीआरडीएल के शुरुआती दिनों को याद किया। उन्होंने डीआरडीएल की संस्कृति और विरासत को जारी रखने और लोगों को शक्ति-गुणक के रूप में एकीकृत करने पर ज़ोर दिया। पैट्रिक डिसिल्वा ने परियोजना एमआरएसएएम की उल्लेखनीय यात्रा का वर्णन किया।
मिसाइल परिसर विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के डिज़ाइन और विकास में शामिल
डीजी (एमएसएस) यू राजा बाबू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मिसाइल परिसर विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के डिज़ाइन और विकास में शामिल है, जिनमें कई प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं और जो पानी के नीचे से लेकर अंतरिक्ष तक की दूरी पर लक्ष्यों पर प्रहार कर सकती हैं और इसे सौंपी गई किसी भी चुनौतीपूर्ण मिसाइल परियोजना को पूरा करने में सक्षम है। डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए सभी डीआरडीओ, सशस्त्र बलों, उद्योग भागीदारों, उत्पादन एजेंसियों और गुणवत्ता आश्वासन एजेंसियों को बधाई दी।
ऑपरेशन सिंदूर का क्या मतलब है?
इस अभियान का कोडनेम “Sindoor” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुना गया माना जाता है, जो हिंदू विवाह संस्कार में शादीशुदा महिलाओं द्वारा माथे पर लगाया जाने वाला सिंदूर है।
ऑपरेशन सिंदूर के पीछे की कहानी क्या है?
पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू‑कश्मीर में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय व एक नेपाली नागरिक की हत्या हुई थी। इस नरसंहार को पाकिस्तान‑समर्थित संगठन जैश‑ए‑मोहम्मद या लश्कर‑ए‑तैयबा ने अंजाम दिया था।
ऑपरेशन सिंदूर का नेतृत्व किसने किया?
सर्वोच्च निगरानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व NSA अजीत डोभाल ने ऑपरेशन की रणनीति और निगरानी की।
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