किसानों को उर्वरक सहायता और बाजार तक मिलेगी पहुंच
करीमनगर। कृषि में रासायनिक पदार्थों के अंधाधुंध प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना (National Organic Farming Project) के तहत किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस पहल का उद्देश्य न केवल रसायन मुक्त खेती (Chemical free farming) को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों को कई लाभ पहुंचाना भी है। तदनुसार, सभी राज्यों को इस योजना को लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों के बाद, जिला कृषि विभाग के अधिकारियों ने जैविक खेती अपनाने में रुचि रखने वाले किसानों की पहचान करना शुरू कर दिया है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के अलावा, इस पहल में विपणन सुविधाओं की स्थापना भी शामिल है, जिसके तहत प्रत्येक जिले में समर्पित स्टॉल लगाए जाएंगे।
60 प्रतिशत लागत वहन करेगा केंद्र
इस कार्यक्रम को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित किया जाएगा, जिसमें केंद्र 60 प्रतिशत लागत वहन करेगा और राज्य 40 प्रतिशत। चयनित किसानों को जैविक खेती की तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसमें जीवामृतम (तरल जैविक खाद), घाना जीवामृतम (ठोस जैविक खाद), हरी खाद, अग्निअस्त्र (प्राकृतिक कीटनाशक) और अन्य तैयार करना शामिल है। दो या तीन गांवों वाले प्रत्येक क्लस्टर में करीब 125 किसान शामिल होने की उम्मीद है। किसानों को जैविक खाद तैयार करने और उसका इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित करने और उनकी सहायता करने के लिए प्रत्येक क्लस्टर में दो सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) नियुक्त किए जाएंगे।

एनजीओ से प्राप्त करेंगे प्रशिक्षण
स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को सीआरपी के रूप में चुना जाएगा। ये संसाधन व्यक्ति क्षेत्र-स्तरीय मार्गदर्शन प्रदान करेंगे और हैदराबाद स्थित एनजीओ, सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर से प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस योजना के तहत, प्रत्येक किसान को जैविक खाद बनाने के लिए दो साल तक 4,000 रुपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता मिलेगी। जो किसान खुद खाद बनाने में असमर्थ हैं, वे जिले भर में स्थापित किए जाने वाले जैव संसाधन केंद्रों से खाद खरीद सकते हैं।
Read Also: Education : इंटरमीडिएट ड्रॉपआउट दर में कमी लाना प्राथमिक लक्ष्य, सीएम का निर्देश