Pahalgam आतंकी हमले का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जानें क्या हैं याचिकाकर्ताओं की मांगें
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के Pahalgam में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस हमले में कई निर्दोष लोग और सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। देशभर में इस घटना को लेकर गुस्सा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, जहां याचिकाकर्ताओं ने कई अहम मांगें रखी हैं।
याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांगें
- याचिकाकर्ताओं ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
- उनका कहना है कि हमले में सुरक्षा में चूक हुई, जिसकी जांच जरूरी है।
- उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा देने की मांग की।
- याचिका में सुरक्षा इंतजामों में सुधार के निर्देश देने की अपील की गई।
- याचिकाकर्ताओं ने अदालत से भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए उपाय करने को कहा।

कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। अदालत ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या पहले से कोई जांच चल रही है और उसकी स्थिति क्या है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अगर सही जांच नहीं हुई, तो असल दोषी बच सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अदालत को बताया कि हमले के बाद कई सुरक्षा से जुड़े सवाल उठे हैं जिनके जवाब नहीं मिले।
सुरक्षा चूक पर उठे सवाल
- हमले के बाद विशेषज्ञों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए।
- आतंकी जिस रास्ते से आए वहां सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं थी।
- कुछ सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।
- सरकार ने कहा कि उन्होंने सभी जरूरी कदम उठाए थे।
- याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि खामियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

आगे की राह
इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से उम्मीद जगी है कि जांच में तेजी आएगी। दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि वह पीड़ितों के साथ खड़ी है और हर संभव मदद देगी। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए हैं। खासकर अमरनाथ यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
आखिरकार, यह मामला देश की सुरक्षा और आतंकवाद से लड़ने की नीति पर महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। क्योंकि जब तक आतंकी नेटवर्क का पूरी तरह सफाया नहीं होगा, तब तक ऐसी घटनाओं का खतरा बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने से पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। अब सबकी नजरें अदालत के फैसले पर हैं। आने वाला समय बताएगा कि क्या कोर्ट सरकार को कड़े निर्देश देगा और क्या दोषियों तक पहुंचा जाएगा।