Pahalgam: में मारे गए लोगों को मिलेगा शहीद का दर्जा? राहुल गांधी ने की मांग,

By digital | Updated: May 8, 2025 • 4:01 PM

राहुल गांधी की सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा में है। उन्होंने अपनी पोस्ट में पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। वहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनयाचिका दायर कर भी मारे गए पर्यटकों को शहीद घोषित करने की मांग की गई है।

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए पर्यटकों को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शहीद का दर्जा देने की मांग की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा कि पहलगाम हमले में मृत लोगों के परिवारों के साथ वह खड़े हैं। उनकी इस मांग का समर्थन भी करते हैं कि मारे गए पर्यटकों को शहीद का दर्जा मिले। वहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनयाचिका दायर कर भी मारे गए पर्यटकों को शहीद घोषित करने की मांग की गई है।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर की पोस्ट

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट की है, पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के दुख में, शहीद के दर्जे की उनकी मांग में, मैं साथ खड़ा हूं। प्रधानमंत्री से आग्रह है कि वो इस त्रासदी में जान गंवाने वालों को यह सम्मान देकर उनके परिवारों की भावना का आदर करें। इससे पहले रायबरेली से सांसद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहलगाम हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के शुभम द्विवेदी के घर जाकर उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। तब भी कहा था कि वह मृतक के लिए शहीद का दर्जा चाहते हैं।

26 पर्यटकों की चली गई थी जान

सेनाओं के जवानों को ही दिया जाता है दर्जा

शहीदों के परिजनों को मिलती हैं कई तरह की सुविधाएं

शहीद के दर्जे को लेकर क्या कहती है सरकार

RTI कार्यकर्ता को सरकार ने दिया था यह जवाब

दिल्ली के एक आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने आरटीआई एक्ट के तहत केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार किसे शहीद मानती है। इस पर जवाब दिया गया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से भी शहीद को कहीं परिभाषित ही नहीं किया है। ऐसे ही भारत सरकार ने दिसंबर 2017 में केंद्रीय सूचना आयोग को सूचित किया था कि रक्षा मंत्रालय की ओर से किसी भी जवान को शहीद कहने के लिए कोई भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है।

ऐसे में जहां तक पहलगाम हमले में मारे गए पर्यटकों को शहीद का दर्जा देने की बात है तो पारंपरिक या कानूनी रूप से इसकी संभावना कम ही है। यह और बात है कि सरकार की ओर से विशेष प्रावधान कर उनके परिजनों को वे सारी सुविधाएं प्रदान की जाएं जो आमतौर पर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों को दी जाती हैं।

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