असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने के पीछे राज?

By digital@vaartha.com | Updated: May 21, 2025 • 5:07 PM

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को देश का दूसरा फील्ड मार्शल बनाने का फैसला लिया गया है। यह पदोन्नति भारत के साथ हालिया सैन्य तनाव के बाद की गई है। पाकिस्तान की सरकार ने भारत के खिलाफ 12 एयरबेस तबाह करवाने वाले असीम मुनीर को प्रमोशन दिया है। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब किसी सैन्य अधिकारी को यह पद दिया है। इससे पहले अयूब खान फील्ड मार्शल बने थे, जिन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागू किया था। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना के जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को सर्वोच्च सैन्य रैंक पर प्रमोशन दिए जाने के बाद सम्मानित करने के लिए विशेष गार्ड ऑफ ऑनर समारोह आयोजित किया गया।पाकिस्तान ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में “ऑपरेशन बनयान-उम-मर्सूस” चलाया था, जिसका खामियाजा उसे अपने 12 से ज्यादा एयरबेस पर हमले से चुकानी पड़ी।

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया,

“सरकार ने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दुश्मन को हराने में बहादुरी व रणनीतिक नेतृत्व के लिए जनरल असीम मुनीर (निशान-ए-इम्तियाज मिलिट्री) को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया है। पाकिस्तान सरकार का यह फैसला अपने ही देश में मजाक बन गया है। हालांकि इसके पीछे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ व अन्य मंत्रियों की सोची-समझी चाल है। भारत से टकराव के बाद यह माना जा रहा था कि जनरलअसीम मुनीर शहबाज शरीफ को सत्ता से बेदखलकर कर पाकिस्तान को फिर एक बार सेना के हवाले कर सकते हैं। ऐसे सत्ता खोने के डर से शहबाज शरीफ मरते क्या ना करते । यह उनकी सोची समझी चाल थी। वरना असीम मुनीर जैसे कायर सेना केअधिकारी को इतने बडा पद दिया मजाक नही तो और क्या है।


क्यों खास है असीम मुनीर की पदोन्नति?

फील्ड मार्शल का पद पाकिस्तान में एक अति दुर्लभ सैन्य रैंक है। इससे पहले सिर्फ एक ही जनरल – अयूब खान – को यह दर्जा मिला था। उन्होंने 1958 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगाकर सत्ता संभाली थी और 1959 में खुद को फील्ड मार्शल घोषित किया था।

वहीं, जनरल मुनीर को यह सम्मान एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत मिला है, जिससे यह निर्णय और भी अहम बन जाता है।


भारत-पाक संघर्ष और ऑपरेशन ‘सिंदूर’

इस पदोन्नति का सीधा संबंध भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव से जोड़ा जा रहा है। 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के 9 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 29 नागरिकों की जान गई थी।

बाद में पाकिस्तान ने भारत से संघर्ष विराम की अपील की, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं में सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।


जनरल असीम मुनीर कौन हैं?

उन्होंने अपनी पदोन्नति पर कहा:

“यह व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की सेना और जनता का सम्मान है।”


भारत में कितने फील्ड मार्शल बने हैं?

भारत ने अब तक केवल दो फील्ड मार्शल बनाए हैं:

  1. सेम मानेकशॉ – 1971 भारत-पाक युद्ध की जीत के बाद, 1973 में पदोन्नत
  2. के. एम. करिअप्पा – भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर, 1986 में सम्मान दिया गया

भारत में यह पद केवल प्रतीकात्मक (ceremonial) होता है और किसी ऑपरेशनल भूमिका में नहीं आता।


हबीब जालिब की कविता से जुड़ी तानाशाही की याद

जनरल अयूब खान के शासन काल में पाकिस्तानी शायर हबीब जालिब ने अपनी कविताओं के माध्यम से तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई। उनकी प्रसिद्ध कविता “मैंने उससे ये कहा…” आज भी पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही के खिलाफ लोकतांत्रिक सोच का प्रतीक मानी जाती है

जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा मिलना सिर्फ एक पदोन्नति नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सेना और राजनीति दोनों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत-पाक संबंधों की पृष्ठभूमि में यह कदम आने वाले दिनों में दोनों देशों की रणनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है

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