Pakistan में अफगान नागरिकों पर बढ़ा अत्याचार, हर रोज हो रही सैकड़ों गिरफ्तारियां – क्या खो रहा है इंसानियत का सम्मान?
Pakistan में अफगान नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर जिस तरह से बर्ताव किया जा रहा है, वह मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। आए दिन खबरें आ रही हैं कि सैकड़ों अफगान मूल के लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उनसे दुर्व्यवहार हो रहा है और उन्हें ज़बरन निर्वासित करने की कोशिश की जा रही है।
इससे Pakistan में रहने वाले लाखों अफगानों के बीच डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है। आइए जानते हैं क्या है इस पूरे मामले की जड़, क्या कह रहा है पाकिस्तान, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की क्या है प्रतिक्रिया।
क्या है पूरा मामला?
पिछले कुछ महीनों में Pakistan सरकार ने ‘अवैध प्रवासियों’ पर कार्रवाई तेज कर दी है। इसका सबसे बड़ा असर अफगान नागरिकों पर पड़ा है, जो पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान में शरण लेकर रह रहे थे।
कई अफगान परिवार 1979 में सोवियत युद्ध के दौरान Pakistan आए थे और तब से यहीं रह रहे हैं। मगर अब उन्हें वापस भेजने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है।

रोजाना हो रही हैं गिरफ्तारियां
Pakistan के कराची, इस्लामाबाद, पेशावर और बलूचिस्तान जैसे इलाकों से लगातार खबरें आ रही हैं कि पुलिस अफगानों के घरों में छापे मार रही है, लोगों को थाने में ले जाकर पूछताछ कर रही है और कई को हिरासत में लिया जा रहा है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर दिन 300 से अधिक अफगान नागरिकों को पकड़ा जा रहा है। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
क्या कहती है Pakistan सरकार?
सरकार का तर्क है कि वे सिर्फ “अवैध प्रवासियों” के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जिनके पास कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहेगी और देश में गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगेगी।
हालांकि, मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस कार्रवाई में भेदभाव और अमानवीयता का व्यवहार हो रहा है।

अफगान नागरिकों का दर्द
कई अफगान नागरिकों का कहना है कि उन्होंने Pakistan में ही जन्म लिया, शिक्षा ली और यहीं बस गए हैं। फिर भी उन्हें “घुसपैठिया” समझा जा रहा है।
उनका सवाल है – “हम कहां जाएं? अफगानिस्तान में तालिबान है और Pakistan हमें निकाल रहा है। हमारा कोई ठिकाना नहीं बचा।”
मानवाधिकार संगठनों की आपत्ति
यूएनएचसीआर (UNHCR) और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाएं इस कार्रवाई की निंदा कर चुकी हैं। उनका कहना है कि शरणार्थियों को उनके देश में ज़बरन वापस भेजना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, खासकर तब जब उनके जीवन को वहां खतरा हो।
इन संस्थाओं ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वह मानवीय आधार पर नीतियों को लागू करे और लोगों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने दे।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच चुका है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
हालांकि पाकिस्तान आंतरिक सुरक्षा और जनसंख्या प्रबंधन का हवाला देकर अपनी कार्रवाई को सही ठहरा रहा है।
Pakistan में अफगान नागरिकों के साथ जो हो रहा है, वह न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों की भी अनदेखी है।
हर इंसान को जीने का अधिकार है – और जब कोई अपने देश की असुरक्षा से भागकर कहीं और शरण लेता है, तो उसे कम से कम इंसान की तरह व्यवहार मिलना चाहिए।
आज जिस तरह से अफगान परिवारों को रोज अपमानित किया जा रहा है, वह इस बात का सबूत है कि दुनिया को अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है – खासकर मानवता।