पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों में नया मोड़
इस्लामाबाद: पाकिस्तान(Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ(Shehbaz Sharif) और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर(Asim Munir) 17 सितंबर से तीन देशों की यात्रा पर निकल रहे हैं। इस दौरान वे सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जाएंगे। चर्चा है कि अमेरिका यात्रा के दौरान शहबाज शरीफ की मुलाकात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हो सकती है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
सऊदी और ब्रिटेन यात्रा का कार्यक्रम
दोनों नेताओं की यात्रा की शुरुआत सऊदी अरब से होगी, जहां वे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करेंगे। बातचीत में निवेश, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाएगा। इसके बाद 18 सितंबर को शहबाज और मुनीर लंदन जाएंगे और वहां 21 सितंबर तक रुकेंगे।
लंदन प्रवास के दौरान शहबाज शरीफ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों में जलवायु परिवर्तन, द्विपक्षीय व्यापार और प्रवासी मुद्दों पर वार्ता की जाएगी। यह दौरा पाकिस्तान के लिए राजनयिक स्तर पर अहम माना जा रहा है।
अमेरिका में संभावित बड़ी मुलाकात
21 सितंबर से शहबाज शरीफ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिस्सा लेंगे। वह सात दिन अमेरिका में रहेंगे और कई उच्च-स्तरीय बैठकों में भाग लेंगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात डोनाल्ड ट्रंप से हो सकती है।
कहा जा रहा है कि 24 से 25 सितंबर के बीच होने वाली इस संभावित बैठक को पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में अहम मोड़ माना जाएगा। अब तक ट्रंप और शहबाज शरीफ की सीधी बातचीत नहीं हुई है, जो पाकिस्तान के लिए असहज स्थिति बताई जाती रही है।
सेना की भूमिका और अमेरिकी रुख
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान(Pakistan) के साथ रिश्ते और मजबूत करने की कोशिशें तेज की हैं। पिछले वर्ष ट्रंप ने जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित कर परंपरा तोड़ दी थी। यह संकेत था कि अमेरिका जानता है कि पाकिस्तान की असली ताकत सेना के हाथों में है।
दरअसल, पाकिस्तान(Pakistan) की लोकतांत्रिक सरकार को वहां की जनता अक्सर “रबर स्टॉम्प” मानती है। सेना के दबदबे के कारण अमेरिका भी सीधे सेना प्रमुख को तवज्जो देता रहा है। यही वजह है कि ट्रंप और मुनीर की नजदीकियों को लेकर नई बहस छिड़ गई है।
शहबाज-ट्रंप मुलाकात क्यों अहम मानी जा रही है?
यह बैठक पाकिस्तान-अमेरिका रिश्तों को नई दिशा दे सकती है। इससे पाकिस्तान को आर्थिक और राजनीतिक समर्थन की उम्मीद है, वहीं अमेरिका को सुरक्षा सहयोग में फायदा मिल सकता है।
असीम मुनीर की मौजूदगी से क्या संदेश जाता है?
उनकी मौजूदगी से साफ होता है कि पाकिस्तान में सेना का दबदबा कायम है। अमेरिका भी इस हकीकत को मानकर कूटनीति आगे बढ़ा रहा है, ताकि सहयोग मजबूत किया जा सके।
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