Explainer: युद्ध की गीदड़भभकी से पहले आईना देख ले Pakistan , चिंदी भर डिफेंस बजट पर शेखचिल्ली सा ख्वाब
पाकिस्तान अक्सर भारत के खिलाफ गीदड़भभकियां देता आया है। हर बार किसी न किसी मंच से युद्ध की धमकी देकर अपनी कमजोर स्थिति छिपाने की कोशिश करता है। हालांकि, हकीकत यह है कि Pakistan की आर्थिक हालत इतनी जर्जर है कि वह खुद को मुश्किल से चला पा रहा है, युद्ध लड़ना तो दूर की बात है।
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Pakistan का रक्षा बजट कितना कमजोर?
- पाकिस्तान का रक्षा बजट हर साल घटता जा रहा है।
- 2024 में पाकिस्तान का कुल रक्षा बजट करीब 17 अरब डॉलर था।
- दूसरी ओर भारत का रक्षा बजट लगभग 73 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।
- पाकिस्तान का अधिकांश बजट तनख्वाह, पेंशन और कर्ज चुकाने में ही खर्च हो जाता है।
- नए हथियार खरीदने या सैन्य आधुनिकीकरण के लिए उसके पास बहुत सीमित संसाधन हैं।
हथियार और तकनीक में कितनी है खाई?
- भारत के पास अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान, एस-400 डिफेंस सिस्टम और एडवांस्ड सबमरीन मौजूद हैं।
- पाकिस्तान आज भी पुराने अमेरिकी एफ-16 और चीन से मिले JF-17 जैसे विमान पर निर्भर है।
- टैंक, तोपें और मिसाइल टेक्नोलॉजी में भी भारत पाकिस्तान से कई गुना आगे है।
- साइबर वारफेयर और ड्रोन टेक्नोलॉजी में भारत ने आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है।
आर्थिक संकट ने कैसे कमजोर किया Pakistan ?
- पाकिस्तान की GDP ग्रोथ लगभग शून्य के आसपास पहुंच चुकी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार कभी-कभी सिर्फ एक महीने के आयात खर्च के लायक ही रह जाता है।
- IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से लोन लेकर पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल रहा है।
- महंगाई दर 30% से ज्यादा है और बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है।
- ऐसे हालात में युद्ध जैसी बड़ी सैन्य कार्रवाई करना उसके बस की बात नहीं है।
पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति भी नाजुक
- बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में लगातार अलगाववादी गतिविधियां हो रही हैं।
- आंतरिक आतंकवाद से निपटने में भी पाकिस्तान की सेना असफल साबित हो रही है।
- राजनीतिक अस्थिरता ने भी हालात और खराब कर दिए हैं।

भारत की तैयारियां कैसी हैं?
- भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रक्षा ढांचे को काफी मजबूत किया है।
- स्वदेशी हथियार निर्माण पर फोकस बढ़ा है, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
- भारत तीनों सेनाओं – थल, वायु और नौसेना – को तेजी से आधुनिक कर रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का कद बढ़ा है, जिससे उसे रणनीतिक समर्थन मिल रहा है।
पाकिस्तान का युद्ध का शोर सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक खेल है। उसकी असलियत बेहद कमजोर है – न पैसा है, न हथियार, न राजनीतिक स्थिरता। भारत को इन गीदड़भभकियों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
क्योंकि सच्चाई यही है कि शेखचिल्ली के सपनों से युद्ध नहीं लड़े जाते।
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