पाकिस्तानी छात्रों: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी आक्रमण ने इंडिया-पाक रिश्तों को एक बार फिर तनावपूर्ण बना दिया है। इस वारदात के बाद सुरक्षा एजेंसियों और गवर्नमेंट की नजरें अब और अधिक सतर्क हो गई हैं। इसका सीधा असर उन पाकिस्तानी विद्यार्थी ओ पर पड़ सकता है, जो इंडिया में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना लेकर वीजा की प्रक्रिया में हैं।
इंडिया में पढ़ाई का सपना, लेकिन वीजा एक चुनौती
हर साल बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से शिक्षार्थी इंडिया की मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ने आते हैं। हालांकि, पाकिस्तानी इंडिया के लिए यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। गृह मंत्रालय के नियमों के मुताबिक उन्हें न सिर्फ इंडिया की यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना होता है, बल्कि दोनों देशों की गवर्नमेंट से इजाज़त भी लेनी पड़ती है।

उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम होने का प्रमाण देना होता है और इंडिया में कहां रहेंगे, इसकी खबर स्थानीय पुलिस को देनी होती है। इसके बावजूद कई बार सुरक्षा कारणों से वीजा आवेदन तिरस्कार कर दिए जाते हैं।
SAARC स्कीम पर भी रोक, भविष्य अनिश्चित
पहलगाम हमले के बाद इंडिया गवर्नमेंट द्वारा कई कड़े कदम उठाए गए हैं — जैसे सिंधु जल समझौता रोकना, पाकिस्तानी राजनयिकों को वापस भेजना, अटारी बॉर्डर पर आवागमन सीमित करना और SAARC वीजा योजना पर रोक लगाना। इससे पहले जिन छात्रों को वीजा जारी किए गए थे, उनमें से कुछ के वीजा निरस्त भी कर दिए गए हैं।
पाकिस्तानी छात्रों: क्या अधर में रह जाएंगे छात्रों के सपने?
अब सवाल ये है कि जो विद्यार्थी पहले ही भारत की यूनिवर्सिटी में दाखिला ले चुके हैं और वीजा का प्रतीक्षा कर रहे हैं, उनका क्या होगा? कूटनीतिक और सुरक्षा कारणों से लगता है कि इंडिया की नीति और कठोर हो सकती है, जिससे इन विद्यार्थी ओ के शैक्षणिक सपने अधर में लटक सकते हैं।