इस्राइल और भारत की चिंताएं समान
पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि आतंकी आका चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहे उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा। 140 करोड़ भारतवासियों के जनादेश और प्रधानमंत्री के दृढ़ संकल्प के चलते भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर अग्निवर्षा की। जिस तरह से भारतीय फौज ने मुंहतोड़ पलटवार किया उससे साफ हो गया कि एक बड़ा संदेश अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी में गया। इस संघर्ष के दौरान मध्यस्थता, कई तरह की दखल और छिपी हुई बातें सामने आयी, जिससे साफ हो गया कि कई मुल्क नई दिल्ली और इस्लामाबाद की सीधी भिड़ंत नहीं चाहते।
भारत और पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश
दोनों ही देश परमाणु शक्ति संपन्न है, ऐसे में ये हथियारबंद संघर्ष न्यूक्लियर दहलीज तक नहीं पहुंचा। भले ही अमेरिकी दखल ने युद्ध विराम की नींव रखने में मदद की, लेकिन इससे ये साफ हो गया कि कभी भी दोनों देशों के बीच खुली जंग के समीकरण पनप सकते है। वहीं नई दिल्ली के हुक्मरानों ने ये साफ कर दिया है कि वो अपना बचाव करेगें, किसी भी तरह के आंतकी हमले का पलटवार करने में वो जरा भी देर नहीं लगायेगें।
पाकिस्तान की गीदड़ भभकी नहीं चलेगी
भारतीय सेना की कार्रवाई से पाकिस्तान की कमर टूटने लगी तो सामरिक नाज़ुकता का संकट बढ़ने लगा। इस्लामाबाद ने पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर उकसावे की कार्रवाई के बीच नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक का आह्वान किया। भले ही ये कदम सांकेतिक था, लेकिन इसके मायने काफी गहरे थे। बता दे कि नेशनल कमांड अथॉरिटी पाकिस्तानी न्यूक्लियर हथियारों और परमाणु मिसाइलों को कंट्रोल करने वाली संस्था है, इसके चेयरमैन पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम होते है। इस मीटिंग को नई दिल्ली के लिए धमकी और दबाव के तौर पर देखा जा रहा था।
जब भारत के प्रधानमंत्री ने सुनाई दो टूक
खास ये भी है कि इस कथित बैठक की टाइमिंग उस वक्त की है, जब अमेरिकी सदर दोनों मुल्कों को शांत रहने की नसीहत दे रहे थे। कुल मिलाकर इस बैठक के बुलाए जाने को असल जंगी चेतावनी के तौर पर देखा गया। इसके बाद वाशिंगटन ने दखल देते हुए ना सिर्फ सीजफायर करवाने की पहल की बल्कि कथित पाकिस्तानी परमाणु मनमानी को भी टाला। इस मसले पर बयान देते हुए पीएम मोदी ने साफ किया कि नई दिल्ली पाकिस्तान की न्यूक्लियर गीदड़ भभकी को नहीं सहेगा। आतंकियों की पनाहगाह को सटीक और सधे हुए हमलों का सामना करना ही पड़ेगा।

इस्लामाबाद की परमाणु क्षमताएं सीमित
तकनीकी रूप से देखा जाए तो भारतीय सेना के पास जमीन, हवा और पानी से परमाणु हथियार लॉन्च करने की जंगी कुव्वत है, जबकि पाकिस्तान के न्यूक्लियर वॉर हैड्स सिर्फ उनकी मिसाइलों पर लगाए जा सकते है, जो कि ज्यादातर सतह से सतह पर मार करने वाली है। पाकिस्तानी JF-17 जंगी जहाज भी परमाणु हथियार दागने की काबिलियत रखता है। सीधे शब्दों में कहे तो नई दिल्ली के पास इस्लामाबाद के मुकाबले न्यूक्लियर हथियार ले जाने वाले जंगी जहाजों की तादाद कहीं ज्यादा है।
- लेखक राम अजोर वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार एवं समसमायिक मामलों के विश्लेषक हैं।
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