पुलिस आयुक्त अंबर किशोर झा के समक्ष कर दिया आत्मसमर्पण
पेद्दापल्ली। माओवादी पार्टी (Maoist party) को एक और झटका देते हुए दो वरिष्ठ नेताओं ने रामागुंडम (Ramagundam) कमिश्नरेट पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अथराम लचन्ना उर्फ गोपन्ना उर्फ राजप्पा और उसकी पत्नी चौधरी अंकुभाई उर्फ अनिथक्का उर्फ लक्ष्मी ने पुलिस आयुक्त अंबर किशोर झा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। जहाँ लछन्ना माओवादी पार्टी के तेलंगाना राज्य समिति सदस्य के रूप में कार्यरत थे, वहीं अंकुभाई छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर संभाग समिति सदस्य थे। अधिकांश समय, दोनों माओवादी पार्टी की तकनीकी टीम में कार्यरत थे। लछन्ना उत्तर बस्तर डीवीसी की संभाग तकनीकी टीम के प्रभारी भी थे, जबकि अंकुभाई उसी तकनीकी टीम के सदस्य थे।
1983 में तत्कालीन भाकपा (माले) पीपुल्स वार में शामिल हुए लछन्ना
मंचेरियल जिले के कोटापल्ली मंडल के पारापेल्ली निवासी, लछन्ना 1983 में तत्कालीन भाकपा (माले) पीपुल्स वार में शामिल हुए और शुरुआत में चेन्नूर दलम के सदस्य के रूप में काम किया। 1988 में उन्हें एरिया कमेटी सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया और बाद में उन्होंने सिरपुर दलम के उप कमांडर के रूप में कार्य किया। 1989 में उन्होंने चौधरी अंकुभाई से विवाह किया। 1995 में, उनका तबादला तकनीकी विभाग में कर दिया गया और उन्हें पार्टी कार्य के लिए शहरी क्षेत्रों में भेजा गया।
लछन्ना ने आत्मसमर्पण करने तक वहीं काम किया
2002 में, उन्हें डीसीएम के पद पर पदोन्नत किया गया और डीकेएसजेडसी में भेज दिया गया। 2007 में, उन्हें उत्तर बस्तर डीवीसी में तकनीकी विभाग का प्रभारी बनाया गया। बाद में उन्हें एसजेडसी सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया और 2023 में डीके एसजेडसीएम में शामिल कर लिया गया। लछन्ना ने आत्मसमर्पण करने तक वहीं काम किया। तेलंगाना के विभिन्न जिलों में उनके खिलाफ 35 मामले दर्ज थे। अपने बड़े भाई चौधरी चिन्ना के प्रोत्साहन से, अंकुभाई 1988 में उग्रवादी पार्टी में शामिल हो गईं और सिरपुर दलम में काम किया। वहाँ काम करते हुए, उन्होंने लछन्ना से विवाह किया, जो उस समय उप-कमांडर थे। 1995 में, उनका अपने पति के साथ शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरण हो गया।
कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले में दर्ज थे 14 मामले
2002 में उन्हें डीके एसजेडसी तकनीकी टीम में एसीएम के पद पर पदोन्नत किया गया। 2007 में, उनका तबादला उत्तर बस्तर डीवीसी तकनीकी टीम में कर दिया गया, जहाँ वे अब तक कार्यरत हैं। उनके खिलाफ कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले में 14 मामले दर्ज थे। माओवादी दम्पति को मीडिया के समक्ष पेश करते हुए आयुक्त अम्बर किशोर झा ने कहा कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग द्वारा दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की सहायता तथा आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के पुनर्वास के बारे में जानने के बाद दम्पति ने आत्मसमर्पण करने और अपने परिवार के सदस्यों के साथ शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया।

माओवादी का मतलब क्या होता है?
यह वह विचारधारा है जो चीन के नेता माओत्से तुंग के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें सशस्त्र संघर्ष के जरिए सत्ता परिवर्तन और वर्गहीन समाज की स्थापना का समर्थन किया जाता है। माओवादी आमतौर पर सरकारी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोही गतिविधियों में शामिल होते हैं।
नक्सलवाद और माओवाद में क्या अंतर है?
भारत में नक्सलवाद शुरू हुआ एक सशस्त्र आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई। माओवाद, माओ की विचारधारा पर आधारित है। नक्सलवाद व्यापक है, जबकि माओवाद उसकी एक चरमपंथी शाखा मानी जाती है जो हिंसा को प्राथमिकता देती है।
क्या भारत में माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी है?
हाँ, भारत में “कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी)” नामक एक उग्र वामपंथी पार्टी है, जिसे भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है। यह संगठन माओवादी विचारधारा के तहत सशस्त्र संघर्ष द्वारा सत्ता परिवर्तन का लक्ष्य रखता है और देश के कई हिस्सों में सक्रिय है।
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