11 सरकारी बैंकों ने पांच साल में खातेदारों से ₹9,000 करोड़ वसूले
नई दिल्ली। देश 11 सरकारी बैंकों(Bank) ने बीते 5 साल में सेविंग अकाउंट में मिनिमम एवरेज बैलेंस मेंटेन नहीं करने पर ग्राहकों से करीब 9,000 करोड़ रुपए की पेनल्टी वसूली है।
कुछ सरकारी बैंकों ने खाते में मासिक न्यूनतम राशि न रखने पर ग्राहकों(customers) से पेनल्टी वसूली, जबकि कुछ ने तिमाही आधार पर इसकी वसूली की।
हालांकि, प्रधानमंत्री जन धन खाते, बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट और सैलरी अकाउंट जैसे खातों को न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता से छूट मिली हुई है।
निजी बैंक नहीं मान रहे सरकार की बात
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में इसकी जानकारी दी। मिनिस्टर ने बताया कि, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) ने बैंकों को सलाह दी है कि वे मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) न रखने पर वसूली जाने वाली पेनल्टी को तर्कसंगत बनाएं।
इसमें खास तौर पर अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राहकों को राहत देने पर जोर दिया गया है। ऐसा लगता है 11 सरकारी बैंकों में से 7 ने ही इस सलाह का पालन किया है। अन्य 4 बैंकों ने भी जल्द ऐसा करने की बात कही है। लेकिन कई निजी बैंक ऐसा नहीं कर रहे।
कुछ बैंक अभी भी क्यों वसूल रहे ये शुल्क?
RBI गाइडलाइन के तहत, बैंक अपनी बोर्ड से मंजूर नीतियों के हिसाब से पेनल्टी तय कर सकते हैं। लेकिन यह जुर्माना वास्तविक बैलेंस और खाते खोलते समय सहमत न्यूनतम बैलेंस के बीच के अंतर पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में होना चाहिए।
मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंक पेनल्टी क्यों लगाता है?
बैंक खातों के संचालन और रखरखाव में खर्च होता है, जिसे पूरा करने के लिए न्यूनतम बैलेंस की शर्त रखी जाती है। शर्त न मानने पर पेनल्टी ली जाती है।
पेनल्टी की राशि कितनी हो सकती है?
पेनल्टी राशि बैंक और खाते के प्रकार पर निर्भर करती है, जो ₹10 से ₹600 तक हो सकती है।
पेनल्टी से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
खाते में हमेशा तय न्यूनतम राशि बनाए रखें या ऐसा खाता चुनें जिसमें न्यूनतम बैलेंस की शर्त न हो, जैसे कि जन-धन खाता।