कार्यक्रम में मासिक धर्म अपशिष्ट और स्वास्थ्य जोखिमों पर डाला गया प्रकाश
हैदराबाद। मासिक धर्म अपशिष्ट (menstrual waste) और मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसके प्रभाव पर केंद्रित एक कार्यक्रम – ‘पीरियड. प्लैनेट. पावर. – इको एडिशन’ – सेंट ऐन्स कॉलेज फॉर विमेन में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में इस वास्तविकता पर चर्चा हुई कि पारंपरिक सैनिटरी पैड प्लास्टिक से भरे होते हैं-लगभग चार प्लास्टिक बैग प्रति पैड के बराबर- और इन्हें सड़ने में सदियाँ लग जाती हैं। भारत में हर साल 1,00,000 टन से ज़्यादा मासिक धर्म अपशिष्ट उत्पन्न होता है, इसलिए प्रतिभागियों ने पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) और शरीर के लिए सुरक्षित विकल्पों की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
महिलाओं में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं से प्रेरित है यह पहल
यह कार्यक्रम वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजुला अनागानी द्वारा शुरू किए गए ‘नो प्लास्टिक ऑन प्राइवेट’ अभियान का हिस्सा था। इसे महिला स्वास्थ्य और मासिक धर्म जागरूकता पर काम करने वाले एनजीओ मरहम की संस्थापक डॉ. नबात लखानी का समर्थन प्राप्त था। डॉ. मंजुला ने कहा कि यह पहल महिलाओं में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं से प्रेरित है, जिनमें से कई सैनिटरी उत्पादों में प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से जुड़ी हैं। डॉ. नबात लखानी ने कहा कि इस पहल के माध्यम से, हम सिर्फ मासिक धर्म के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम स्वस्थ, सुरक्षित और अधिक टिकाऊ विकल्पों की वकालत कर रहे हैं।

लड़कियों को पीरियड कैसे होता है?
पीरियड तब होता है जब गर्भाशय की परत हर महीने टूटकर रक्त के रूप में योनि से बाहर निकलती है। यह प्रक्रिया हार्मोनल बदलाव के कारण होती है और लगभग 28 दिनों के चक्र में दोहराई जाती है।
पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए ताकि प्रेग्नेंट हो?
यह खत्म होने के लगभग 10-17 दिन बाद तक का समय ओव्यूलेशन पीरियड होता है। इस दौरान संबंध बनाने से गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक रहती है क्योंकि अंडाणु और शुक्राणु मिलने की संभावना रहती है।
पीरियड का दूसरा नाम क्या है?
इसका दूसरा नाम “मासिक धर्म” है। इसे “माहवारी”, “रजस्वला” और “मेंस्ट्रुअल साइकिल” भी कहा जाता है। यह महिलाओं में प्रजनन प्रणाली का सामान्य और प्राकृतिक हिस्सा है।
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