बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ‘वोट चोरी’ (Vote Chori) के आरोपों ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के एक सदस्य ने कांग्रेस, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की है। याचिका में कांग्रेस के ‘वोट चोरी से आजादी’ अभियान को लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला बताते हुए पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई है।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को मुंगेर में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के पांचवें दिन भारी बारिश के बीच रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर बिहार के मतदाताओं का अधिकार छीनने का आरोप लगाया।
याचिका में क्या है?
याचिका में आरोप है कि कांग्रेस का ‘वोट चोरी’ अभियान चुनाव आयोग के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने का दुष्प्रचार है। यह लोकतंत्र की पवित्रता पर हमला करता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कांग्रेस के इस अभियान की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIT) से कराई जाए और पार्टी का पंजीकरण रद्द किया जाए। साथ ही, वोटर लिस्ट में बदलाव पर रोक और मशीन-रीडेबल डेटा सार्वजनिक करने की अपील की गई है।
राहुल गांधी के आरोप
मुंगेर में राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए बिहार में ‘वोट चोरी’ कर रही है। उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर एक लाख फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया और मध्य प्रदेश के 2023 विधानसभा चुनाव में 16 लाख वोटों की हेरफेर हुई, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ। गांधी ने इसे संविधान पर हमला बताया और कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए राहुल गांधी से हलफनामा या माफी मांगने को कहा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दावा किया कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी है और सभी दलों की सहमति से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने का ब्योरा मांगा है, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है। यह विवाद चुनावी निष्पक्षता और लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है।
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