मंत्रियों ने राहुल से की हस्तक्षेप की मांग
हैदराबाद। तेलंगाना में फ़ोन टैपिंग (Phone tapping) को लेकर राजनीतिक बवाल एक नाटकीय मोड़ ले रहा है। इस मुद्दे पर दिल्ली में मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की टिप्पणी ने उनकी मंशा और समय को लेकर नए सिरे से संदेह पैदा कर दिया है। सूत्रों का दावा है कि ‘सभी सरकारें फ़ोन टैप करती हैं’ वाली उनकी यह स्वीकारोक्ति, यह जानने के तुरंत बाद आई कि कई मंत्री राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिलकर उनकी निजी बातचीत की निगरानी की शिकायत करने की योजना बना रहे हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि रेवंत रेड्डी द्वारा यह ज़ोर देकर कि अगर अनुमति ली गई हो तो फ़ोन टैपिंग अवैध नहीं है, इस प्रथा को सामान्य बनाने की कोशिश कांग्रेस के भीतर असंतोष को शांत करने में नाकाम रही। इसके बजाय, यह उल्टा पड़ गया, क्योंकि असंतुष्ट मंत्रियों ने इस बयान को विद्रोह को रोकने के लिए एक पूर्व-निवारक कदम के रूप में देखा।
राहुल गांधी से व्यक्तिगत मुलाकात की जताई इच्छा
एआईसीसी तेलंगाना प्रभारी मीनाक्षी नटराजन का फ़ोन टैप किए जाने की अटकलों के बीच, मंत्रियों को संदेह है कि भविष्य में किसी भी तरह की ढिलाई उन्हें ही नुकसान पहुँचा सकती है। उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क सहित लगभग आधा दर्जन मंत्री, जो इस समय दिल्ली में हैं, में से कम से कम दो ने राहुल गांधी से व्यक्तिगत मुलाकात की इच्छा जताई है। बताया जा रहा है कि राज्य में मौजूद दो अन्य मंत्री भी इस संबंध में राहुल गांधी और एआईसीसी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री जल्द ही पीड़ित सहयोगियों के साथ अलग-अलग बैठकें कर सकते हैं। हालाँकि होने वाली कैबिनेट बैठक ‘ओबीसी भागीदारी न्याय महासम्मेलन’ के कारण स्थगित बताई जा रही थी, जिसमें आधी कैबिनेट शामिल है, लेकिन अब पता चला है कि मंत्रियों ने इसे पार्टी नेतृत्व के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए रुकने का बहाना बनाया, जबकि रेवंत रेड्डी शुक्रवार दोपहर हैदराबाद लौट आए।
‘फोन टैपिंग अवैध नहीं है और सभी सरकारें ऐसा करती हैं’
इस सप्ताह के शुरू में दिल्ली में मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने इस घोटाले को कमतर आंकने की कोशिश की थी और दावा किया था कि फोन टैपिंग अवैध नहीं है और सभी सरकारें ऐसा करती हैं, बशर्ते इसके लिए उचित अनुमति ली गई हो। इस प्रथा को सामान्य बनाने के उनके प्रयास से असंतोष को कम करने में कोई मदद नहीं मिली है, क्योंकि उनकी पार्टी के कई लोग कैबिनेट सहयोगियों सहित अपनी ही पार्टी के नेताओं पर इस तरह की निगरानी की नैतिकता और वैधता पर सवाल उठा रहे हैं।
स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जासूसी कांड
वे यह भी बताते हैं कि इस स्वीकारोक्ति ने पिछली बीआरएस सरकार पर कांग्रेस के हमले को कमज़ोर कर दिया है, जिस पर उसने जासूसी और राजनीतिक जासूसी का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने अपने संसदीय चुनाव अभियान के दौरान बीआरएस पर हमला करने और अधूरे वादों से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे का ज़ोरदार इस्तेमाल किया था, जो अब उल्टा पड़ रहा है। विपक्षी दलों द्वारा इस मौके का फायदा उठाने की उम्मीद है और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जासूसी कांड को कांग्रेस के खिलाफ एक रैली का मुद्दा बना दिया जाएगा।
बीआरएस एमएलसी दासोजू श्रवण ने तो इस मामले की तुलना ‘वाटरगेट-शैली के अतिक्रमण’ से करते हुए संस्थागत ईमानदारी और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए न्यायिक जाँच की माँग की। परिणामस्वरूप, इसका दुहरा परिणाम हुआ, मंत्रियों को अब अपने मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं रहा, तथा जिस मुद्दे को उन्होंने हथियार बनाया था, उसी पर कांग्रेस की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया।
कांग्रेस की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने के लिए 1885 में ए.ओ. ह्यूम की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। इसका उद्देश्य भारतीयों को राजनीतिक मंच देना था ताकि वे प्रशासन में भागीदारी और अपने अधिकारों के लिए संगठित रूप से आवाज़ उठा सकें।
1969 में कांग्रेस के फुट के क्या कारण थे?
इंदिरा गांधी और पार्टी के पुराने नेतृत्व के बीच वैचारिक मतभेद, राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन को लेकर टकराव और अनुशासन के मुद्दे प्रमुख कारण बने। इन अंतर्विरोधों के चलते कांग्रेस दो भागों-कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आर)-में बंट गई, जिससे राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ी।
भारत में कितने राज्यों में कांग्रेस की सरकार है?
इस समय कांग्रेस की पूर्ण सरकार कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में कार्यरत है। इसके अलावा वह बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। राष्ट्रीय स्तर पर वह प्रमुख विपक्षी दल है और आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
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