Physical Health: गर्मी में क्यों बिगड़ता है मूड?

गर्मी

ब्रेन केमिस्ट्री में बदलाव

गर्मी के मौसम में शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का संतुलन बिगड़ता है, जिससे मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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अगर गर्मी बढ़ने पर बहुत थकान के साथ मन उदास रहता है, बेवजह गुस्सा बढ़ रहा है तो ये सिर्फ गर्मी का मामला नहीं है। इसका सीधा कनेक्शन मेंटल हेल्थ से है।

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गर्मी और हीटवेव का असर सिर्फ डिहाइड्रेशन या सनबर्न तक सीमित नहीं है। ज्यादा गर्मी मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती है। जिस तरह सर्दियों में SAD सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी होता है, उसी तरह कुछ लोगों को गर्मियों में भी डिप्रेशन और तनाव होता है। इसे समर SAD या रिवर्स SAD भी कहा जाता है।

गर्मियों में ज्यादा धूप, हाई टेम्परेचर और नींद में गड़बड़ी ब्रेन की केमिस्ट्री प्रभावित कर सकती है, जिससे मूड बदलता है और डिप्रेशन जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, जब टेम्परेचर बहुत बढ़ जाता है तो स्ट्रेस, एंग्जायटी, मूड डिसऑर्डर और स्किजोफ्रेनिया जैसे मेंटल हेल्थ इश्यू के कारण हॉस्पिटल में इमरजेंसी केस 8% तक बढ़ जाते हैं। गर्मी से सिरदर्द, नींद की कमी, बेचैनी और मानसिक थकान होती है। इससे डिप्रेशन बढ़ सकता है।

थकावट और नींद की कमी

लंबे दिन, गर्मी और पसीने से शरीर डिहाइड्रेट होता है, जिससे नींद भी पूरी नहीं होती और मानसिक थकान बढ़ जाती है।


😠 समर SAD के लक्षण क्या हैं?

गुस्सा और चिड़चिड़ापन

गर्मी में लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों पर नाराज़ हो जाते हैं।

आलस्य और ऊर्जा की कमी

हालांकि दिन लंबे होते हैं, फिर भी व्यक्ति थका-थका महसूस करता है।

उदासी और अकेलापन

बिना किसी वजह के मन दुखी रहना या लोगों से कटे-कटे महसूस करना।


कैसे रहें शांत और कूल?

हाइड्रेटेड रहें

दिनभर में 2.5 से 3 लीटर पानी पिएं। नारियल पानी, नींबू पानी जैसे प्राकृतिक ड्रिंक्स मददगार होते हैं।

ध्यान और मेडिटेशन करें

सुबह या शाम को मेडिटेशन से मन शांत रहता है और गुस्सा कम होता है।

🥗 ठंडी और हल्की डाइट

खीरा, तरबूज, दही, पुदीना जैसी चीज़ें शरीर को ठंडा और मन को सुकून देती हैं।

सूरज की रोशनी से बचें

सीधे धूप में जाने से बचें, खासकर दोपहर 12 से 4 बजे के बीच। हल्के कपड़े पहनें और छाया में रहें।


🧠 मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें

बात करें, दबाव न पालें

किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार के सदस्य से अपनी बातें शेयर करें।

प्रोफेशनल हेल्प लें

अगर मूड डिसऑर्डर या डिप्रेशन लंबे समय तक बना रहे, तो साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट से सलाह ज़रूर लें।

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