रूस की यात्रा पर जाएंगे PM Modi? पुतिन ने इस खास समारोह के लिए भेजा निमंत्रण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में हैं। इस बार वजह है रूस से आया एक विशेष निमंत्रण। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को एक अहम समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
अब सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी रूस की यात्रा करेंगे? इस पर आधिकारिक पुष्टि का इंतजार तो है, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं।
क्या है समारोह?
रूस हर साल Victory Day यानी विजय दिवस समारोह आयोजित करता है। यह दिन द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर जीत की याद में मनाया जाता है।
2025 में यह दिन और भी खास है क्योंकि यह विजय की 80वीं वर्षगांठ है। ऐसे में पुतिन ने विश्व नेताओं को निमंत्रण भेजा है, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हैं।

क्यों है मोदी का जाना अहम?
भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। भले ही हालिया वर्षों में भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों से भी रिश्ते मजबूत किए हैं, लेकिन रूस आज भी भारत का महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी है।
PM मोदी का रूस जाना कुछ संकेत दे सकता है:
- भारत-रूस के पुराने संबंधों की मजबूती
- वैश्विक मंच पर संतुलित विदेश नीति
- यूक्रेन युद्ध के बीच तटस्थ रुख को दर्शाना
विदेश मंत्रालय का क्या कहना है?
भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने यह कहा है कि पीएम मोदी के अंतरराष्ट्रीय दौरों की योजना बनाई जा रही है, और उपयुक्त समय पर इसकी जानकारी दी जाएगी।
वहीं रूस के सरकारी मीडिया में यह खबर प्रमुखता से चल रही है कि पुतिन का न्योता व्यक्तिगत स्तर पर भेजा गया है, जो दोनों नेताओं की नजदीकी को दर्शाता है।

क्या कहता है भू-राजनीतिक विश्लेषण?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पीएम मोदी इस समारोह में शामिल होते हैं, तो यह भारत के मल्टी-अलाईंस अप्रोच को दर्शाएगा।
जहां पश्चिमी देश रूस से दूरी बनाए हुए हैं, वहीं भारत ने हमेशा संतुलन बनाए रखने की नीति अपनाई है। इससे यह संकेत जाएगा कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र है और वह किसी भी एक धड़े में शामिल नहीं।
रूस को क्या फायदा?
रूस के लिए PM मोदी की उपस्थिति कई मायनों में अहम होगी। इससे उन्हें यह दिखाने का मौका मिलेगा कि भारत जैसे बड़े लोकतंत्र का समर्थन उन्हें प्राप्त है।
इससे पुतिन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैधता मिलेगी, खासकर तब जब पश्चिमी देशों ने उन्हें यूक्रेन युद्ध को लेकर आलोचना का शिकार बनाया है।

भारत की रणनीति क्या हो सकती है?
भारत शायद संतुलन की रणनीति अपनाए। यानी, रूस से दूरी भी न हो और पश्चिमी देशों से रिश्ते भी न बिगड़ें। ऐसे में पीएम मोदी का दौरा कुछ शर्तों या सीमाओं के तहत हो सकता है –
जैसे कि केवल समारोह में भाग लेना, लेकिन द्विपक्षीय रक्षा वार्ताओं से बचना।
प्रधानमंत्री मोदी को पुतिन द्वारा भेजा गया निमंत्रण भारत की वैश्विक महत्ता और भूमिका को दर्शाता है। अब देखना यह है कि क्या मोदी इस निमंत्रण को स्वीकार कर रूस की ऐतिहासिक यात्रा पर जाते हैं या फिर किसी अन्य मंच से अपना संदेश देते हैं।