पूर्णिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सीमांचल के पूर्णिया (Purnia) पहुंचे थे। यहां पीएम मोदी ने सिकंदरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में करीब 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली रेल, कृषि और हवाई मार्ग से जुड़ी विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया था।
इन योजनाओं से सीमांचल को बहुत लाभ मिलने की उम्मीद है। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी उपस्थित रहे थे। मंच पर (PM Modi) पीएम मोदी को मखानों से बनी भारी भरकम माला पहनाई गई थी। इस माला का कितना वजन था, ये माला किसने बनाई थी? आइए जानते हैं
मखाने की माला बनाने में कितने दिन लगे?
प्रधानमंत्री मोदी को मखानों की जो माला पहनाई गई थी, उसका वजह 10 किलो था। इस मखाने की माला को मखाने के दानों को 51 लड़ियों में मजबूती से सुई-धागे की मदद से बुनकर तैयार किया था। इस माला को पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में पढ़ने वाले 15 छात्रों की टीम ने तैयार किया था। 10 किलो वजन वाली इस माला को बनाने में 5 दिन लगे थे। पांच दिन की कड़ी मेहनत के बाद मखाने की यह माला तैयार हुई थी।
मखाने भारत में कहाँ-कहाँ पैदा होते हैं?
भारत में पैदा होने वाले कुल मखाने का करीब 85 फीसदी केवल बिहार में पैदा होता है. इसकी खेती बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, Purnia सुपौल, किशनगंज और अररिया जिले में की जाती है.बिहार के अलावा यह पश्चिम बंगाल और असम में भी पैदा होता है.
भारत में सबसे अधिक मखाना कहाँ होता है?
बिहार भारत में कुल उत्पादन का 85% से अधिक के लिए खाते में मखाना का प्रमुख उत्पादक है। मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सहरसा और कटिहार कुछ ऐसे जिले हैं जिनमें मखाने की खेती की जाती है।
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