चीन के तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय कूटनीति ने वैश्विक मंच पर भारत (India) की धमक को फिर से स्थापित किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी गर्मजोशी भरी मुलाकात ने न केवल ग्लोबल साउथ की एकजुटता को रेखांकित किया, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति को भी करारा जवाब दिया। ठीक उसी समय, अमेरिकी दूतावास की एक X पोस्ट ने भारत-अमेरिका दोस्ती को “21वीं सदी की परिभाषित साझेदारी” बताया, जिसकी टाइमिंग ने कूटनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी।
मोदी की कूटनीतिक चाल
SCO समिट में मोदी ने आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए पहलगाम हमले की निंदा साझा बयान में शामिल करवाई, जो पाकिस्तान के लिए सीधा संदेश था। शी जिनपिंग के साथ 40 मिनट की बैठक में सीमा पर शांति, व्यापार असंतुलन ($85 बिलियन का घाटा), और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली पर सहमति बनी। पुतिन के साथ मुलाकात में रक्षा और व्यापार सहयोग को मजबूती मिली। यह तिकड़ी अमेरिकी टैरिफ (भारत और रूस पर 50%, चीन पर 200% की धमकी) के खिलाफ वैकल्पिक व्यापार गलियारों और BRICS की ताकत को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा थी
अमेरिकी दूतावास की पोस्ट और टाइमिंग
1 सितंबर को सुबह 11:30 बजे, जब तियानजिन में मोदी, पुतिन, और जिनपिंग की मुलाकात सुर्खियां बटोर रही थी, अमेरिकी दूतावास ने X पर लिखा, “भारत और अमेरिका की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है।” यह पोस्ट ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत के रूसी तेल आयात पर उनकी आलोचना के बाद आई, जिसे भारत ने रूस से $17 बिलियन की बचत के साथ उचित ठहराया। विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्ट वाशिंगटन की बेचैनी और भारत की बढ़ती वैश्विक हैसियत को स्वीकार करने का संकेत थी
विश्व व्यवस्था में बदलाव
मोदी ने SCO में कहा, “ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में कैद करना अन्याय है।” SCO और BRICS ($30 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था) वैकल्पिक वित्तीय और व्यापारिक प्रणालियों को बढ़ावा दे रहे हैं, जो अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दे सकते हैं। भारत की 2026 में BRICS समिट की मेजबानी इस दिशा में बड़ा कदम होगी।
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